Wednesday, November 6, 2024
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देहरादून में नशा मुक्ति केंद्र का हाल: कमरा एक, लोग 35, सांस भी लें तो कैसे? पढ़ें आरटीआई में हुआ बड़ा खुलासा

देहरादून जिले में नशामुक्ति केंद्रों का बुरा हाल है। केंद्रों में कई घटनाएं और शिकायतें सामने आने के बाद भी आज तक न तो कोई मानक बनाए गए और न ही इन पर कोई कार्रवाई होती। हालात यह हैं कि एक ही कमरे में 35 लोगों को रखा जा रहा है। यह खुुलासा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना के आधार पर हुआ है। दून में हर गली मोहल्लों में नशा मुक्ति केंद्र खुले हैं, लेकिन समाज कल्याण विभाग के अनुसार, पूरे जिले में मात्र 40 नशामुक्ति केंद्र है। इन केंद्रों में आए दिन कोई न कोई घटना होती रहती है, लेकिन कोई भी नियम-कायदे न होने से आज तक इन केंद्रों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। केंद्रों पर एक कमरे में 35 लोगों को रखा जा रहा है। अधिवक्ता शिवा वर्मा की ओर से आरटीआई में मांगी गई सूचना में यह खुलासा हुआ है। आरटीआई के तहत जब उन्होंने सीएमओ से नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या, नशा मुक्ति केंद्रों के लिए मानक, सुविधाओं, एसओपी के बाबत सूचना मांगी गई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए।
सीएमओ ऑफिस की सूचना के मुताबिक, जिले में मात्र नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या 40 है। जिनका संचालन बिना किसी मानक के हो रहा है। एक नशा मुक्ति केंद्र के एक कमरे 35 लोगों को रखा गया है, जबकि एक नशा मुक्ति केंद्र में मात्र दो कमरे हैं और 61 लोगों को रखा गया है। एक केंद्र में सात कमरे में 94 पुरुषों, एक कमरे में 20 पुरुष, सात कमरों में 90 पुरुषों को रखा गया है। यानि इनमें से हर नशा मुक्ति केंद्र में एक कमरे में 10 से 15 लोगों को रखा गया है। केंद्रों का न तो कोई रजिस्ट्रेशन है, न प्रशिक्षित स्टॉफ है। यहां तक कि इनमें सीसीटीवी कैमरे, दैनिक रिजस्टर, शिकायती रजिस्टर, विजिटिंग रजिस्टर तक की व्यवस्था नहीं है।
एक साल पूर्व डीएम ने जारी किया था एसओपी
नशा मुक्ति केंद्रों में कई घटनाएं सामने आने के बाद तत्कालीन डीएम ने 13 नवंबर 2021 को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी किया था। जिसमें केंद्रों का रजिस्ट्रेशन क्लीनिकल एस्टेब्लिसमेंट एक्ट एवं हेल्थ केयर एक्ट 2017 के तहत करने से लेकर तमाम व्यवस्थाएं लागू करने के लिए कहा गया था, लेकिन आज तक यह एसओपी जारी नहीं हो पाई। इस बाबत सीएमओ कार्यालय की ओर से जवाब दिया गया कि एसओपी जारी होने के बाद केंद्रों द्वारा हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गई थी। जिसमें हाईकोर्ट ने केंद्रों को संचालन करने के लिए शिथिलता दी गई। मामला हाईकोर्ट में होने पर आज तक किसी भी नशा केंद्र पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
नशा मुक्ति केंद्रों में हाल ही में हुई घटनाएं
24 अक्टूबर को रिस्पना पुल के पास लाइफ केयर फाउंडेशन रिहैब सेंटर में भर्ती युवक की मौत।
पांच अगस्त को क्लेमेंटटाउन के प्रकृति विहार स्थित नशा मुक्ति केंद्र के संचालक पर दुष्कर्म का आरोप।
23 अगस्त को वसंत विहार स्थित जीवन परिवर्तन नशा मुक्ति से 12 युवक फरार।
बिष्ट गांव स्थित जागृति फाउंडेशन नशा मुक्ति केंद्र में मरीज की मौत, शव बाथरूम में फंदे से लटका मिला।
नशा मुक्ति केंद्रों की आड़ में लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। लोग प्रताड़ित हो रहे, जो एक गंभीर विषय है। केंद्रों का पंजीकरण जरूरी है, जिससे पारदर्शिता रहे। विभाग की लापरवाही से एसओपी अस्तित्व में नहीं आ पाया, जो गंभीर विषय है। केंद्रों के लिए एसओपी जल्द लागू होनी चाहिए। – शिवा वर्मा, अधिवक्ता, हाईकोर्ट नैनीताल

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