काशीपुर। किसान धान की कटाई के बाद रबी की फसल की बुआई की तैयारियों में जुट गए हैं। पिछले दिनों बारिश हुई थी इसलिए खेतों में नमी है। अब जुताई से पहले पानी लगाने की आवश्यकता नहीं रही है। इन दिनों किसान काफी व्यस्त हैं। धान काटने बाद बेचना, पराली जलाने की व्यवस्था करना, खाद-बीज दवाओं का प्रबंधन करने का काम चल रहा है। किसान रबी के सीजन में खेतों में गेहूं, चना और दलहन की फसलें उगाते हैं। जिले में मुख्य रूप से गेहूं की फसल अधिक उगाई जाती है। उसी के अनुसार किसान खेतों की जुताई करने और खाद-बीज की व्यवस्था करने में लगे हैं। चना, मसूर की फसल यहां के किसान कम उगाते हैं। उन्नत किसान फसल बोने से पहले मृदा परीक्षण कराते हैं। रिपोर्ट के आधार पर ही रसायन खादों का उपयोग करते हैं। किसान गेहूं की फसल बोने से पहले बीजों का चयन कर लेते हैं फिर बीजों को दवा से उपचारित करके प्रगतिशील किसान अधिक उपज देने वाली उन्नत प्रजातियों के बीज बोते हैं। गेहूं की बुआई के लिए खेतों की जुताई कर मिट्टी भुरभुरी बनाई जाती है। रासायनिक खादों के बजाय गोबर की खाद का उपयोग करने से खेतों की उर्वरा शक्ति घटती नहीं हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डॉ. जितेंद्र क्वात्रा ने बताया कि गेहूं की अर्ली प्रजातियां में एचडी 3086, एचडी 2997एचडी 2733, डीबी डब्ल्यू 222, यूपी 2425 आदि है। एक एकड़ में लगभग 40 किलो गेहूं का बीज प्रति एकड़ बोना चाहिए। एक किलो ग्राम बीज को दो ग्राम बाविसटीन अथवा कार्बीडिजम से उपचारित करना चाहिए। धान के पौधों के तनों के अवशेष को हटाने के लिए बेलर मशीन का प्रयोग करना चाहिए। डॉ. क्वात्रा ने बताया कि अच्छी उपज के लिए खेत में प्रति हेक्टेअर, 150 किलो नाइट्रोजन, 6 किलो ग्राम फास्फोरस, 40 किलो ग्राम पोटाश खाद का प्रयोग करना चाहिए। बुआई के लिए हैप्पी सीडर या सुपर सीडर का प्रयोग करना चाहिए
धान की फसल कटाई के साथ ही रवि की फसल बुआई की तैयारी में जुटे
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