प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं की राह खोलने का प्रयास कर रही सरकार का तीन बड़ी परियोजनाओं पर फिलहाल विशेष फोकस है। इन परियोजनाओं से 1260 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा।
लखवाड़ परियोजना : 300 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना को 1976 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन इसका काम 1992 में रुक गया था। देहरादून के निकट यमुना नदी पर इस परियोजना का 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनना है। इस परियोजना का काम उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड देख रही है। इसके टेंडर भी जारी हो चुके हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।
किशाऊ बांध परियोजना : देहरादून के निकट टोंस नदी पर हिमाचल और उत्तराखंड के बीच यह बांध बनना प्रस्तावित है। इस परियोजना से 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परियोजना से उत्तराखंड के अलावा हिमाचल, यूपी, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली को पेयजल व सिंचाई का पानी मिलेगा।
परियोजना पर जनसुनवाई का काम पूरा
हिमाचल व उत्तराखंड को इससे बिजली भी मिलेगी। इस परियोजना में होने वाले खर्च को लेकर राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र भेजा है। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि आगामी छह माह में इस परियोजना को टेंडर फेज में लाने की कोशिश है।
बावला नंदप्रयाग परियोजना : 300 मेगावाट की यह परियोजना चमोली जिले के नंद्रप्रयाग में अलकनंदा पर बावला जल विद्युत परियोजना के नाम से बननी है। इस परियोजना पर जनसुनवाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। राज्य सरकार इस परियोजना को जल्द धरातल पर लाने के लिए प्रयासरत है। परियोजना का निर्माण यूजेवीएनएल को करना है। अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना में तेजी से काम किया जा रहा है। तीन बड़ी परियोजनाओं पर सरकार ने विशेष फोकस किया हुआ है। बावला नंदप्रयाग, किशाऊ और लखवाड़ के लिए लक्ष्य तय किया गया है। तीनों में प्रगति भी नजर आ रही है। – आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव, ऊर्जा
प्रदेश की तीन बिजली परियोजनाओं पर सरकार का फोकस, राज्य ने खटखटाया केंद्र का दरवाजा
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