उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार की डिग्री विवाद में आ गई है। उन्होंने एक ही साल में अलग-अलग संस्थानों से बीएएमएस से डिग्री और योग में पीजी डिप्लोमा किया। शिकायत पर हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय ने ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज हरिद्वार से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है। कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय कुमार ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को भेजी शिकायत में बताया कि डॉ.राजेश कुमार ने वर्ष 1999 में कानपुर विश्वविद्यालय से बीएएमएस की उपाधि ली। इस साल गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन योगा भी किया। दोनों ही उपाधि उन्होंने संस्थागत छात्र के रूप में हासिल की हैं जो नियम विरुद्ध है। इसके अलावा 2005 में राजेश कुमार राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय में संविदा डॉक्टर के पद तैनात हुए थे।
नौकरी के साथ ही ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद कॉलेज हरिद्वार से एमडी आयुर्वेद के लिए पंजीकरण कराया। संविदा डॉक्टर पद पर वेतन प्राप्त करने के साथ ही एमडी छात्र को मिलने वाला मानदेय भी लिया। यह सरकारी धन का दुरुपयोग है। पूर्व में आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलसचिव रहे राजेश कुमार वर्तमान में थैलीसैंण में राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय में तैनात हैं। कुलसचिव ने एचएनबी विश्वविद्यालय से फर्जीवाड़े की जांच कर कार्रवाई करने का अनुरोध किया। कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय कुमार फिलहाल सचिव आयुष कार्यालय में संबद्ध हैं। शिकायत का संज्ञान लेते हुए एचएनबी विश्वविद्यालय ने ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य से 15 दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी है। शिकायत मिलने पर अधिकारियों को मामले में डॉ. राजेश कुमार से जवाब लेने के निर्देश दिए गए हैं। जवाब आने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. पंकज कुमार पांडेय, सचिव आयुष।
मैंने बीएएमएस की डिग्री और योग में पीजी डिप्लोमा किया है। पीजी डिप्लोमा का सरकारी सेवाओं के लिए कोई इस्तेमाल नहीं किया है। सभी आरोप निराधार हैं। – डॉ. राजेश कुमार, पूर्व कुलसचिव।
पूर्व कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार की डिग्री पर विवाद, पढ़ें क्या है पूरा मामला
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