प्रदेशभर के स्कूली छात्र-छात्राओं को जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास, पर्वतीय प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर) प्रमाण पत्र आदि बनाने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इस तरह के प्रमाण पत्र छात्र- छात्राओं को स्कूल में मिल जाएंगे। शिक्षा विभाग ने अपणु स्कूल अपणु प्रमाण के नाम से एक नवाचारी योजना प्रारंभ की है। इस नवाचारी कार्यक्रम की परिकल्पना सर्वप्रथम टिहरी जनपद के जिलाधिकारी सौरभ गहरवाल ने तैयार की। जिसे मुख्य सचिव डा.एसएस संधु की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में चरणबद्ध तरीके से पूरे प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया गया है। पहले चरण में यह टिहरी और देहरादून जिले में लागू की जा रही है।
प्रदेशभर के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारी को पत्र जारी किया
माध्यमिक शिक्षा के प्रभारी निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने इस आशय का पत्र प्रदेशभर के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारी को जारी किया। जिसमें कहा गया है कि यह नवाचारी कार्यक्रम राजकीय हाईस्कूल एवं राजकीय इंटर कालेजों में अध्ययनरत कक्षा 10वीं, 11वीं एवं 12वीं के समस्त छात्रों के लिए है। इन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवश्यक जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास, पर्वतीय प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर) प्रमाण पत्र, अनाथ बच्चों के प्रमाण पत्र विद्यालय में ही उपलब्ध करवाए जाने हैं। इस प्रकार के प्रमाणपत्रों को तैयार करने से पहले विद्यालय स्तर पर एक सात दिवसीय शिविर लगाया जाएगा। जिसमें एसडीएम, तहसीलदार, मुख्य शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी व प्रधानाचार्य भाग लेंगे और इस प्रकार के प्रमाण पत्र तैयार करेंगे। यह शिविर राजकीय विद्यालयों में बोर्ड परीक्षा के बाद आयोजित करेंगे। इस पूरी प्रक्रिया में लाभार्थी छात्र-छात्राओं का विवरण शिक्षा निदेशालय को भेजना होगा। गुड गवर्नेंस के इस नवाचारी कार्यक्रम की सफलता के लिए समस्त मुख्य शिक्षा अधिकारी को अपने जनपदों में एसडीएम, तहसीलदार, लेखपाल / पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी व अन्य संबधित समस्त विभागों का छात्रों के प्रमाण पत्र बनाने में अनिवार्य रूप से सहयोग करना होगा। – महावीर सिंह बिष्ट, प्रभारी निदेशक, माध्यमिक शिक्षा उत्तराखंड
अब बच्चों के मूल, जाति, ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र के लिए नहीं लगाने होंगे माता-पिता को चक्कर
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