12 वर्षों में रुड़की की जिस पुरानी गंगनहर को राष्ट्रीय स्तर की जल क्रीड़ा प्रतियोगिताओं के लिए विकसित करने की भाजपा और कांग्रेस सरकार की ओर से घोषणा की जाती रही है उसकी संभावनाओं को फिलहाल यूपी सिंचाई विभाग ने खारिज कर दिया है। इस संबंध में पर्यटन विभाग को पत्र भेजकर साफ कर दिया है कि 180 साल पुरानी गंगनहर और पुल अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं। इसमें किसी भी प्रकार की गतिविधि सुरक्षा के लिहाज से खतरा है। हरिद्वार से रुड़की शहर के बीचोबीच से गुजरने वाले गंगनहर न केवल खूबसूरती को बढ़ाती है बल्कि लाखों बीघा कृषि भूमि की सिंचाई के साथ-साथ दिल्ली में लोगों की प्यास भी बुझाती है। यहां कई वाटर स्पोर्ट्स क्लब खिलाड़ियों को नाव चलाने का प्रशिक्षण देते हैं। यहीं से प्रशिक्षण हासिल कर क्षेत्र के युवा राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक हासिल कर चुके हैं। यही नहीं पुरानी गंगनहर में करीब 10 साल पहले राष्ट्रीय स्तर की कैनोइंग कयाकिंग प्रतियोगिता भी आयोजित हो चुकी है। इसी के चलते भाजपा और कांग्रेस की सरकारों की ओर से गंगनहर को वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी के लिहाज से विकसित किए जाने की घोषणा की गई थी। चार साल पहले कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने रुड़की में आयोजित एक कार्यक्रम में भी इसकी घोषणा की। इसके बाद पर्यटन विभाग की ओर से यूपी सरकार से एनओसी मांगी गई। अब इसके जवाब में यूपी सिंचाई विभाग की ओर से पत्र भेजकर गंगनहर में किसी तरह की गतिविधि को अंजाम देने से इनकार कर दिया है।
180 साल पहले मिट्टी का भराव करके बनाई थी गंगनहर
ब्रिटिश इंजीनियर प्रोबी कॉटले ने रुड़की की गंगनहर को काफी मेहनत और बेमिसाल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कर बनाया था। खास बात यह थी कि मेहवड़ से रुड़की के बीच मिट्टी को खोदकर नहर नहीं निकाली गई बल्कि इसके उलट करीब 60 फुट मिट्टी का भराव कर गंगनहर बनाई गई थी। ऐसा इसलिए था कि यहां से सोलानी नदी पश्चिम से पूरब की ओर बहती है और इसी नदी पर पुल बनाकर गंगनहर को गुजारा जाना था। यहां पर नदी के ऊपर से गुजरती गंगनहर के लिए बनाया गया सोलानी एक्वाडक्ट आज भी इंजीनियरिंग के नायाब नमूने के रूप में जीवंत दिखाई दे रहा है। इसी के चलते पुल की ऊंचाई तक लाखों टन मिट्टी का भराव किया गया। यूपी सिंचाई विभाग ने भी मिट्टी भरान से बनी पुरानी गंगनहर के इस्तेमाल को खतरा बताया है।
मेहवड़ में खतरे के संकेत के लिए ही बनाए थे ऐतिहासिक शेर
मेहवड़ से रुड़की के बीच के प्रोबी कॉटले ने मुहाने पर चार शेरों का निर्माण किया था। ये शेर शहर की ऐतिहासिक विरासत भी हैं। यहां पर खतरे का संकेत दर्शाने के लिए ही इन शेरों का निर्माण किया गया था। यूपी सिंचाई विभाग के एसडीओ अनिल निमेष के मुताबिक गंगनहर निर्माण के समय निर्मित्त किए गए शेर उस समय भी खतरे का संकेत देने के लिए बनाए गए थे। पुरानी गंगनहर को बने करीब 180 साल हो चुके हैं। इसके साथ बना पुल भी मियाद पूरी कर चुका है। वैसे भी मेहवड़ से रुड़की के बीच गंगनहर को मिट्टी का भरान करने के बाद बनाया गया है। ऐसे में यहां किसी भी प्रकार की गतिविधि सुरक्षित नहीं हैं। इस संबंध में पर्यटन विभाग को पत्र भेजकर अवगत करा दिया गया है। – अनिल निमेष, एसडीओ यूपी सिंचाई विभाग
180 साल पुरानी गंगनहर अब असुरक्षित, नहीं होंगी राष्ट्रीय स्तर की जल क्रीड़ा प्रतियोगिताएं
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