चीन के प्रभाव में आकर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के कालापानी क्षेत्र को अपना बताने वाले नेपाल ने अब यहां की जनगणना का दावा किया है। केंद्रीय सांख्यिकी विभाग की बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार कालापानी क्षेत्र की कुल आबादी 600 बताई गई है। इसमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा को भी शामिल किया गया है। विभाग के उप महानिदेशक हेमराज रेग्मी के अनुसार जनगणना के लिए उन्होंने सेटेलाइट इमेज व इस क्षेत्र में मौजूद नेपाली श्रमिकों की मदद ली है। इससे पहले जुलाई 2020 में नेपाल ने संबंधित क्षेत्रों को अपने राजनीतिक नक्शे में शामिल कर विवाद को तूल दिया था। लेकिन उसका यह दावा तथ्यों पर सटीक नहीं बैठ सका। अब नेपाल ने जनगणना का दांव खेला है। नेपाल के इस दावे को पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील प्रशासन ने नकार दिया है। यहां उपजिलाधिकारी अनिल कुमार शुक्ला ने जागरण से बातचीत में कहा कि नेपाल का दावा गलत है। नवंबर 2021 में नेपाल के केंद्रीय सांख्यिकी विभाग ने कालापानी क्षेत्र में जनगणना के अनुमति मांगी थी। जिला प्रशासन ने इसका विरोध किया। इसके बाद नेपाल ने ड्रोन से सर्वे की अनुमति मांगी, उसे भी नकार दिया गया। ऐसे में कालापानी क्षेत्र में जनगणना जैसी बात तथ्यहीन है। वैसे भी अभी संबंधित क्षेत्र के लोग माइग्रेशन पर हैं। अकेले कालापानी की जनसंख्या एक हजार है। इसमें लिपुलेख व लिंपियाधुरा को मिला लें तो यह संख्या बढ़कर करीब तीन हजार हो जाती है। ऐसे में नेपाल किस आधार पर यहां की जनसंख्या छह सौ बता रहा है यह तो वही जान सकता है।
नेपाल ने कालापानी में जनगणना के नाम पर फिर शुरू किया विवाद
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