Wednesday, October 30, 2024
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लीकेज से लाखों लीटर पानी रोज हो रहा बर्बाद

हल्द्वानी। पानी बचाने को लेकर सरकारी दावों और प्रचार-प्रसार के बावजूद जमीनी हालात इसके उलट हैं। जल संस्थान के आंकड़ों के अनुसार पेयजल लाइनों में लीकेज के चलते प्रतिदिन साढ़े सात एमएलडी पानी बर्बाद हो रहा है। हल्द्वानी शहर और आसपास के क्षेत्रों में पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए 90 एमएलडी पानी चाहिए। मगर तमाम पेयजल योजनाओं से जल संस्थान 75 एमएलडी पानी ही जुटा पाता है। विभाग के अनुसार पेयजल लीकेज के चलते प्रतिदिन दस फीसदी पानी बर्बाद हो जाता है। जल संस्थान एक ओर लीकेज को ठीक करता है तब तक दूसरी जगह यह दिक्कत पैदा हो जाती है।
दरअसल हल्द्वानी शहर में पेयजल की आपूर्ति 1972 में बिछाई गई एसी (एस्बेस्टस सीमेंट) पाइपलाइन से होती है। 18 इंच व्यास की 75 किमी पाइपलाइन नैनीताल रोड, बरेली रोड, रामपुर रोड, कालाढूंगी रोड, धान मिल रोड और कठघरिया तक बिछी है। यह पाइपलाइन अपनी मियाद पूरी कर चुकी है इसके चलते आए दिन लीकेज की समस्या बनी रहती है। इस पाइपलाइन के लीकेज से ही प्रतिदिन तीन एमएलडी (30 लाख लीटर) पानी बर्बाद चला जाता है। इसके अतिरिक्त छोटी पाइप लाइनों में भी लीकेज की समस्या है। पानी की अंधाधुंध हो रही बर्बादी के चलते लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। वाॅशिंग सेंटर, भवन निर्माण और सड़कों पर सुबह-शाम पानी बर्बाद हो रहा है। जिन घरों आरओ फिल्टर लगे हैं वहां रोजाना 15 से 20 लीटर पानी व्यर्थ चला जाता है।
गर्मी के महीनों में पानी की बर्बादी पर प्रशासन रहता है सख्त
गर्मियों में पानी की मांग बढ़ने पर लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ता है। प्रशासन की ओर से अप्रैल से जून तक पानी के दुरुपयोग पर सख्ती दिखाते हुए रोक लगाई जाती है। इस दौरान भवन निर्माण, कार वाशिंग सेंटर और पानी के दुरुपयोग पर आधिकारिक तौर पर प्रतिबंध रहता है।
पेयजल बचाने के लिए करें ये काम
पेयजल को बचाने के लिए जनता को भी सचेत रहने की जरूरत है। घरेलू काम जैसे दाढ़ी बनाते, दांत साफ करने के दौरान पानी की बर्बादी न करें। रिसने वाले फ्लश टैंक और नल को ठीक करवाएं। कम बहाव वाले पानी का नल लगाएं। नहाते समय शावर का प्रयोग करें। हल्द्वानी शहर में पांच दशक पुरानी पाइपलाइन बिछी है जो मियाद पूरी कर चुकी हैं। कुछ इलाकों में नई पाइपलाइन बिछाई गई हैं। पाइपलाइन लीकेज होने पर विभाग की ओर से तत्काल कार्यवाही की जाती है। पेयजल को बचाने के लिए आम लोगों को भी सचेत रहना चाहिए। व्यर्थ पानी बर्बाद न करें। – एसके श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान

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