Thursday, October 31, 2024
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ब्लूटूथ डिवाइस कपड़ों में सिलवाकर परीक्षा में बैठते अभ्यर्थी, नकल रैकेट का पर्दाफाश

नकल माफिया मुकेश सैनी ने बेहद शातिराना ढंग से नकल कराने का षडयंत्र रचा था। उसने बेहद छोटी ब्लूटूथ डिवाइस ऑनलाइन मंगाई थी। ये इतनी छोटी हैं कि कपड़ों में सिलवाया जा सकता है। कान में लगाने वाला रिसीवर भी इतना छोटा होता है कि आसानी से पकड़ा नहीं जा सकता। इससे केवल एक तरफ की बातचीत ही सुनी जा सकती है। हालांकि, परीक्षा केंद्रों तक इन्हें कैसे ले जाना था, यह जांच का विषय है। नकल के लिए सौदा करने वाले 15 अभ्यर्थियों को ब्लूटूथ डिवाइस भी मुहैया करा दी गई थी। सभी के परीक्षा केंद्र अलग-अलग थे। बताया जा रहा है कि सैनी ने 15 ब्लूटूथ डिवाइस मंगाई थीं। चूंकि, परीक्षा केंद्रों पर इस बार कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। ऐसे में योजना यह थी कि एक केंद्र पर एक ही अभ्यर्थी ब्लूटूथ डिवाइस के साथ जाने वाला था। सैकड़ों परीक्षार्थियों के बीच उसके पकड़े जाने की संभावना कम थी। एसटीएफ को जो ब्लूटूथ डिवाइस मिली है, वह इतनी छोटी है कि आसानी से कमीज के कॉलर या कफ में सिलवाई जा सकती है। इसमें मेटल नहीं होता। ऐसे में ये मेटल डिटेक्टर से भी पकड़ी नहीं जा सकती है। इस डिवाइस के साथ एक ईयर रिसीवर भी होता है। यह भी इतना छोटा होता है कि कान में लगाने के बाद भी आसानी से नहीं दिखता। फिलहाल एसटीएफ को एक ही डिवाइस मिली है। बताया जा रहा है कि बाकी डिवाइस उसने अन्य अभ्यर्थियों को दे दी थी। इन अभ्यर्थियों की तलाश एसटीएफ कर रही है।
2020 के मुकदमे में आपसी समझौते पर बच निकले थे
वर्ष 2020 में भी वन आरक्षी भर्ती परीक्षा कराई गई थी। इसमें भी परीक्षा केंद्रों पर ब्लूटूथ डिवाइस पकड़ी गई थी। एक अभ्यर्थी की शिकायत पर मुकेश सैनी, हाकम सिंह, रचित पुंडीर समेत सात लोगों के खिलाफ मंगलौर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। लेकिन, ये आरोपी आसानी से बच निकले थे। हाईकोर्ट में दोनों पक्षों में समझौता हो गया था। लिहाजा, इस मुकदमे को बंद कर दिया गया था।
मुकदमे की पुनर्विवेचना की हो रही कोशिश
पिछले साल जब यूकेएसएसएससी की भर्ती परीक्षाओं में धांधली का पता चला था तो कई मुकदमे दर्ज हुए थे। इस बीच वर्ष 2020 में मंगलौर थाने में दर्ज इस मुकदमे का परीक्षण कराने की अनुमति शासन ने दे थी। लेकिन, मामला बंद हो चुका था तो पुनर्विवेचना नहीं हो सकी थी। इसे लेकर आयोग ने भी हाईकोर्ट में अपनी बात रखी थी। आयोग का कहना था कि परीक्षा उन्होंने कराई थी। मुकदमा बंद हो गया लेकिन आयोग का पक्ष नहीं लिया गया।

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