दिनेशपुर। पूर्व शिक्षा मंत्री एवं विधायक अरविंद पांडेय ने कहा कि कुछ अधिकारियों की लापरवाही और निजी स्कूलों के संचालकों की मिलीभगत से महंगी किताबों का खेल चल रहा है। जिन अभिभावकों ने किताबों के अधिक दाम चुकाए हैं, शिकायत मिलने पर उन्हें उनका पैसा वापस दिलाया जाएगा। बृहस्पतिवार को नगर पंचायत सभागार में पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र को नया आयाम दिया। सरकार की नियत में कोई खोट होता तो एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू ही नहीं किया जाता। सत्र चालू होने से पहले सरकार ने अधिकारियों की बैठक लेकर सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की पाठ्यक्रम को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए थे लेकिन कुछ अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। निजी स्कूल संचालक महंगी किताबें लगाकर सरकार को बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं। इसमें कुछ अधिकारियों की लापरवाही भी उजागर हुई है, जिनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पांडेय ने कहा कि महंगी किताबों को लगाने वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी लेकिन इसके लिए अभिभावकों को आगे आना होगा। जिन अभिभावकों ने किताबों के अधिक दाम चुकाए है यदि वे लिखित में शिकायत करें तो सरकार उन्हें उनके पैसे वापस दिलाएगी। वहां नगर पंचायत अध्यक्ष सीमा सरकार,चंद्रकांत मंडल, विजय मंडल, हिमांशु सरकार,अनादि मंडल,आदि मौजूद थे।
छापे की भनक लगते ही महंगी किताबें छिपाई
रुद्रपुर। कार्रवाई से बचने के लिए निजी स्कूल संचालक शिक्षा विभाग की टीम से एक कदम आगे चल रहे हैं। एनसीईआरटी की पुस्तकों को लेकर बृहस्पतिवार को रुद्रपुर में शिक्षा विभाग की टीम ने सात निजी स्कूलों का निरीक्षण किया, लेकिन स्कूल संचालकों ने पहले ही निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें छुपा दीं, जिस कारण टीम को स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें नहीं मिलीं। जिले में शिक्षा विभाग अब तक एनसीईआरटी की पुस्तकोंं के बजाय निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें चलाने पर 65 स्कूल संचालकों को नोटिस जारी कर चुका है। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने सभी ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारियों व उप शिक्षा अधिकारियों को शीघ्र आख्या भेजने को कहा है। जांच में आरोप पुष्ट होने पर स्कूलों की मान्यता रद्द करने और जुर्माना भी लगाने की तैयारी चल रही है। खंड शिक्षा अधिकारी डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि रुद्रपुर क्षेत्र में उन्होंने गंगापुर रोड, किच्छा मार्ग स्थित पांच निजी स्कूलों का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें नहीं मिलीं। ऐसी मालूम होता है कि लगातार निरीक्षण के चलते निजी स्कूल संचालक कार्रवाई से बचने के लिए सतर्क हो गए हैं। उप शिक्षा अधिकारी डॉ. गुंजन अमरोही ने फुलसुंगा स्थित दो निजी स्कूलों का निरीक्षण किया, वहां भी निजी प्रकाशकों की पुस्तकें नहीं मिली।
उप शिक्षा अधिकारी ने वापस करवाई महंगी किताबें
रुद्रपुर। आवास विकास स्थित एक निजी स्कूल में निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें चलाने की शिकायत को उप शिक्षा अधिकारी डॉ. गुंजन अमरोही ने गंभीरता से लिया। उन्होंने स्कूल में चल रही निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकों को अभिभावकों को सौंपकर पुस्तक विक्रेता को वापस करने के लिए कहा। सभी अभिभावकों ने पुस्तकें लेकर विक्रेता के पास पहुंचे। इसके बाद उक्त स्कूल में एनसीईआरटी की पुस्तकें चलवाई गईं। जिले में कई निजी स्कूल संचालक सहायक पुस्तकों के रूप में निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें लगा रहे हैं, जबकि सहायक पुस्तकों के रूप में एनसीईआरटी से अधिक मूल्य की पुस्तकें नहीं चलाई जा सकती हैं। अब तक जिले में 65 स्कूल संचालकों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। बीईओ व उप शिक्षा अधिकारियों को शीघ्र आख्या देने को कहा गया है। जांच में आरोप पुष्ट होने पर स्कूलों की मान्यता रद्द करने के साथ ही 50 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना लगाने की तैयारी है। अभिभावक निजी प्रकाशकों की किताबें न खरीदें। यदि कोई स्कूल दबाव बनाता है तो अभिभावक शिकायत करें। – रमेश चंद्र आर्या, मुख्य शिक्षा अधिकारी।
काशीपुर में तीन स्कूलों में मिला नोटिस, स्पष्टीकरण मांगा
काशीपुर। बीईओ आरएस नेगी के निर्देश पर बृहस्पतिवार को एनसीईआरटी किताबों की चेकिंग के लिए गठित टीम ने सात स्कूल का निरीक्षण किया। इस दौरान कविता माडर्न पब्लिक स्कूल, रूट्स पब्लिक स्कूल व शैमफोर्ड स्कूल में एनसीईआरटी किताबों के अलावा निजी प्रकाशकों की किताबें मिलीं। बीईओ नेगी ने बताया कि रूट्स पब्लिक स्कूल में निरीक्षण के दौरान भारी अव्यवस्था देखने को मिली हैं। एनसीईआरटी की किताबें कुछ ही छात्रों के पास मिलीं, अधिकतर छात्रों के पास अन्य प्रकाशकों की पाठ्य पुस्तकें थीं। साथ ही स्कूल में एसआर पंजिका भी सही नहीं मिली, उसमें भी भारी अनियमितताएं मिली। तीनों स्कूलों को नोटिस देकर तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
निजी प्रकाशकों की किताब खरीदने का बना रहे दबाव
काशीपुर। अभिभावकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि स्कूल में निजी प्रकाशन की किताब खरीदने का दबाव बनाने के साथ पुस्तक विक्रेता का नाम भी बताया जा रहा है। अभिभावकों के मुताबिक निजी प्रकाशन की किताबों के दाम एनसीईआरटी किताबों से कई गुना अधिक है। बताया कक्षा 8वीं में कुल 13 किताबें हैं, जिसमें एनसीईआरटी की आठ किताब की कीमत लगभग 530 रुपये तो वहीं निजी प्रकाशन की अन्य पांच किताब की कीमत 1550 रुपये है। जिसमें सबसे अधिक महंगी एक किताब की कीमत 540 रुपये है।
स्कूलों को पहले ही पता चल रहा कहां पड़ने वाला है छापा
काशीपुर। शिक्षा विभाग की ओर से की जा रही कार्रवाई को लेकर पब्लिक स्कूल संचालक अलर्ट हो गए हैं। सूत्रों की मानें तो स्कूल प्रबंधन को पहले ही जानकारी मिल जा रही है आज किस-किस स्कूलों का निरीक्षण होगा। वहीं कई स्कूलों के बच्चों ने बताया निरीक्षण टीम आने की भनक लगते ही उनके स्कूल में शिक्षक उनके बैग से निजी प्रकाशकों किताब पहले ही निकलवा कर अलग रखवा दे रहे हैं। बैग में केवल एनसीईआरटी किताब रखने दीं। ऐसी घटना बुधवार और बृहस्पतिवार को कार्रवाई होने से पहले हुई।
अभिभावकों ने तहसील में किया प्रदर्शन
खटीमा। सितारगंज रोड स्थित एक निजी स्कूल में महंगी किताबें चलाने से आक्रोशित अभिभावकों ने तहसील में प्रदर्शन कर एसडीएम रविंद्र सिंह बिष्ट को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन बिना अभिभावकों की सहमति के महंगी किताबें चला रहा है। इससे उनपर भारी आर्थिक लोड पड़ रहा है। कहा कि दस अप्रैल को मामले में ज्ञापन सौंपने के बाद भी प्रशासन और शिक्षा विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। वहां आनंद सिंह, दिनेश भट्ट, दिनेश कुमार, सोनू वर्मा, मंदीप कुमार, कपिल त्रिपाठी आदि थे।
पूर्व शिक्षामंत्री बोले, मिलीभगत से चल रहा है महंगी किताबों का खेल
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