केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इनर लाइन परमिट व्यवस्था के संबंध में भेजे गए अलग-अलग प्रस्ताव उत्तराखंड सरकार को लौटा दिए हैं। मंत्रालय ने राज्य को समग्र प्रस्ताव भेजने को कहा है, ताकि सभी हितधारकों से संबंधित मसलों पर एक बार में ही इनर लाइन परमिट की नीति बनाई जा सके।बता दें कि राज्य में इनरलाइन परमिट व्यवस्था सीमांत पर्यटन की राह में अड़चन बन रही है। नरलाइन परमिट व्यवस्था को थोड़ा लचीला बनाने की मांग हो रही है, ताकि सीमांत इलाकों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। खुद केंद्र सरकार भी राज्य में चीन-नेपाल सीमा के पास स्थित गांवों में पर्यटन गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रही है। केंद्र ने राज्य के 50 से अधिक गांवों को वाइब्रेंट विलेज की सूची में रखा है। राज्य सरकार भी मुख्यमंत्री सीमांत गांव विकास योजना के तहत सीमांत गांवों के लिए अलग से योजना बना रही है। देशभर के सैलानी हिमालयी क्षेत्रों में ट्रैकिंग के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी उत्तराखंड के हिमालयी इलाकों में घूमने में दिलचस्पी दिखाते हैं। लेकिन इनर लाइन परमिट व्यवस्था के कारण पर्यटकों को सीमा क्षेत्र के आसपास की घाटियों में सैर करने की अनुमति नहीं है। स्थानीय निवासियों को भी इन इलाकों में रात्रि प्रवास की इजाजत नहीं है। इस कारण इन क्षेत्रों में पर्यटन की संभावना का पूरा दोहन नहीं हो पा रहा है। स्थानीय लोग भी बिना इजाजत यहां नहीं घूम सकते।
इन प्रमुख घाटियों में जाने के लिए चाहिए इनरलाइन परमिट
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर नेलांग घाटी में जाने के लिए इनर लाइन परमिट चाहिए होता है। जड़ोंग गांव चीन सीमा से 60 किमी दूरी पर है, यहां विदेशी पर्यटकों के जाने पर प्रतिबंध है। पिथौरागढ़ की व्यास घाटी के नाभी और कुटी गांवों में भी भ्रमण के लिए इनरलाइन परमिट चाहिए। छियालेख से आगे भी परमिट की जरूरत होती है। प्रदेश में ऐसे ही कई और इलाके हैं जहां घूमना प्रतिबंधित है। बता दें कि राज्य में चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जिले की सीमाएं चीन सीमा से सटी हैं। पिथौरागढ़ का एक हिस्सा नेपाल की सीमा को छूता है। जबकि ऊधमसिंह नगर और चंपावत भी नेपाल की सीमा से सटे हैं। इन जिलों की घाटियों में स्थित गांवों में प्रवेश के लिए परमिट की जरूरत होती है। गृह विभाग इनर लाइन परमिट की व्यवस्था के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है। केंद्र सरकार ने समग्र प्रस्ताव बनाकर भेजने के लिए कहा है। इस संबंध में गृह मंत्रालय के स्तर पर वीडियो कांफ्रेंस पर कुछ बैठकें हो चुकी हैं। सीमांत जिलों से संबंधित जिलाधिकारियों को हितधारकों के साथ चर्चा कर एक प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। पर्यटन, वन एवं आईटीबीपी से भी प्रस्ताव देने को कहा गया है। सभी प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद एक समग्र प्रस्ताव बनाकर मंत्रालय को भेज दिया जाएगा। – रिद्धिम अग्रवाल, विशेष सचिव, गृह
केंद्र ने इनर लाइन परमिट का समग्र प्रस्ताव मांगा, इन प्रमुख घाटियों में जाने के लिए है जरूरी
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