भारत-नेपाल के बीच सूखा बंदरगाह के लिए बनाए जा रहे फोरलेन हाईवे की अनुमोदन प्रक्रिया टल गई है। वन विभाग ने एनएचएआई की सर्वे पर आपत्ति लगाई थी जिसका अप्रूवल शासन में लंबित है। अब नई सरकार के गठन के बाद ही फोरलेन सड़क के एलाइनमेंट पर आगे की कार्यवाही होगी। बनबसा के जगबुड़ा पुल से नेपाल को सूखा बंदरगाह के निर्माण के लिए 4.2 किमी फोरलेन सड़क प्रस्तावित है। जहां से नेपाल की ओर से बनाए गए फोरलेन पुल से हाईवे को जोड़ा जाना है। एनएचएआई ने इसके लिए पूर्व में बनबसा के आबादी वाले इलाके से सर्वे किया था जिसका वहां के ग्रामीणों ने विरोध किया था। जिसके बाद एलाइनमेंट में चेंज कर वन भूमि से सर्वे किया मगर यहां भी वन विभाग ने आपत्ति लगा दी। वन विभाग का कहना है कि वन भूमि के अंतर्गत पेड़ों का अधिक कटान हो रहा है जो पर्यावरण के लिए उचित नहीं है। एनएचएआई की सर्वे के मुताबिक करीब 2100 पेड़ वन भूमि के एलाइनमेंट की जद में आ रहे हैं। इसके अलावा ग्रामीणों की करीब 10 हेक्टेयर और वन भूमि की 30 हेक्टेयर जमीन फोरलेन की जद में आ रही है।
जिस कारण वन विभाग ने इस पर आपत्ति लगाई है और एलाइनमेंट चेंज करने की मांग कर है। एनएचएआई ने सरकार और वन विभाग से काम शुरू करने को लेकर अप्रूवल मांगा लेकिन विस चुनाव के कारण मामला शासन में लंबित चला गया है। अब चुनाव संपन्न होने के बाद ही आगे की तस्वीर साफ हो पाएगी। हालांकि प्रोजेक्ट की थ्री-डी प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है।
हमने थ्री-डी प्रोसेस पूर्व में ही पूरी कर ली है। लेकिन वन विभाग ने कुछ प्वाइंट को लेकर एलाइनमेंट में आपत्ति लगाई है। जो शासन में लंबित चल रहा है। चुनाव के बाद नई सरकार के गठन होते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। वन विभाग एलाइनमेंट में बदलाव की मांग कर रहा है। मीनू, अभियंता, एनएचएआई, रुद्रपुर
भारत-नेपाल फोरलेन हाईवे पर रेड सिग्नल,वन विभाग की एनएचएआई सर्वे पर आपत्ति;जानें क्या है वजह
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