उत्तराखंड की पांचवीं निर्वाचित सरकार के लिए भाजपा-कांग्रेस के बीच 13 फीसदी वोटों के लिए ही असली लड़ाई है। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस पर इन्हीं 13 प्रतिशत वोट की बढ़त लेते हुए प्रचंड बहुमत बनाई थी। कांग्रेस महज 11 सीटों पर जरूर सिमट गई, लेकिन उसके स्थायी वोट प्रतिशत कोई ज्यादा अंतर नहीं रहा। बेहद मामूली कमी ही आई थी।आम आदमी पार्टी, बसपा और यूकेडी की इस चुनाव में सक्रियता को देखते हुए जहां भाजपा पर अपनी वर्ष 2017 की अतिरिक्त बढ़त को बनाए रखने की चुनौती है। वहीं कांग्रेस की जद्दोजहद अपने मूल वोट को सुरक्षित रखते हुए भाजपा समेत बाकी दलों के वोट में सेंध लगाने की है।
वर्ष 2017 के विस चुनाव में भाजपा ने आश्चर्यजनक ढंग से अपने वोट प्रतिशत को 33.13 से बढ़ाकर 46.5 प्रतिशत कर लिया था। कांग्रेस में जरूर भाजपा सेंध नहीं लगा पाई थी, लेकिन बसपा, यूकेडी समेत बाकी दलों के वोट बैंक को अपनी ओर खिसका लिया था। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का कहना है कि भाजपा का जनविरोधी चेहरा सामने आ गया है। 14 फरवरी को भाजपा की उत्तराखंड से विदाई तय है।
BJP-कांग्रेस के बीच विधानसभा चुनाव-2022 में 13 प्रतिशत वोट की लड़ाई
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