Wednesday, December 24, 2025
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‘समुद्र प्रताप’ से बढ़ी भारतीय तटरक्षक बल की ताकत, बेड़े में शामिल हुआ पहला स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोत

भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए अपने पहले स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोत ‘समुद्र प्रताप’ को आधिकारिक रूप से बेड़े में शामिल कर लिया है। इस पोत के शामिल होने से समुद्री प्रदूषण से निपटने की भारत की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, साथ ही यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।

मंगलवार को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में आयोजित एक आधिकारिक समारोह के दौरान ‘समुद्र प्रताप’ को भारतीय तटरक्षक बल को सौंपा गया। इस अवसर पर तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के प्रतिनिधि मौजूद रहे। अधिकारियों ने बताया कि यह पोत समुद्री प्रदूषण नियंत्रण, कानून प्रवर्तन, खोज एवं बचाव अभियानों तथा भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा।

भारतीय तटरक्षक बल के अनुसार, ‘समुद्र प्रताप’ को 02 पीसीवी परियोजना के तहत पूरी तरह स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है। यह तटरक्षक बल का पहला ऐसा प्रदूषण नियंत्रण पोत है, जिसे देश में ही विकसित किया गया है। इसके बेड़े में शामिल होने से समुद्री प्रदूषण नियंत्रण नियमों को लागू करने और समुद्री कानून व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।

तकनीकी रूप से ‘समुद्र प्रताप’ अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें 30 मिमी की सीआरएन-91 गन, 12.7 मिमी की दो स्थिर रिमोट कंट्रोल गन (फायर कंट्रोल सिस्टम के साथ), स्वदेशी इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम, ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम, शाफ्ट जनरेटर, सी बोट डेविट, पीआर बोट डेविट और उच्च क्षमता वाला बाहरी अग्निशमन सिस्टम शामिल हैं।

इसके अलावा, यह तटरक्षक बल का पहला प्रदूषण नियंत्रण पोत है, जिसमें रिट्रैक्टेबल स्टर्न थ्रस्टर, डायनामिक पोजिशनिंग सिस्टम (डीपी-1) और फ्लश टाइप साइड स्वीपिंग आर्म्स लगाए गए हैं। पोत में ऑयल फिंगरप्रिंटिंग मशीन, जाइरो-स्टेबलाइज्ड स्टैंडऑफ एक्टिव केमिकल डिटेक्टर और अन्य आधुनिक उपकरण भी मौजूद हैं, जो समुद्र में तेल रिसाव और रासायनिक प्रदूषण की त्वरित पहचान और नियंत्रण में सहायक होंगे।

तटरक्षक बल ने बताया कि इस पोत के निर्माण में 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप है। अधिकारियों का कहना है कि ‘समुद्र प्रताप’ की आधुनिक क्षमताएं हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री प्रदूषण से निपटने और समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा को नई मजबूती प्रदान करेंगी।

कुल मिलाकर, ‘समुद्र प्रताप’ का बेड़े में शामिल होना भारतीय तटरक्षक बल की परिचालन क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ देश की समुद्री सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और स्वदेशी रक्षा निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता को भी स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

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