पांच दिन से बंकर के अंदर फंसे हैं। रात में तापमान माइनस पांच डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है। कड़ाके की ठंड में चिंता के बीच पल-पल भारी गुजर रहे हैं। हॉस्टल की कैंटीन से बंकर में दो टाइम खाना तो मिल जाता है, लेकिन घर की याद ऐसे सता रही है कि अब भूख भी खत्म होने लगी है। राहत की उम्मीद भी कहीं नजर नहीं आ रही। बस किसी तरह से यहां से निकल जाएं। प्लीज! हमारी मदद कीजिए।
खारकीव में फंसे दिल्ली निवासी आकाश धीमान ने मुश्किलों को बयां करता वीडियो अपने परिजनों और दोस्तों को भेजा है। दिल्ली और दून से उनके परिचित लगातार आकाश एवं उनके साथ फंसे भारतीय छात्रों की मदद की कोशिश में लगे हैं, लेकिन कोई सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है। आकाश आठ दिसंबर को ही एमबीबीएस करने के लिए यूक्रेन गए थे। आकाश ने सोमवार को मैसेज के जरिये बताया कि खारकीव में वह हॉस्टल के बंकर में 24 फरवरी से फंसे हैं। बहुत ठंड है। गैलरी जैसे बंकर में पैर भी सीधे नहीं कर पा रहे हैं। घुटन होने लगी है। बाहर बमबारी हो रही है। टॉयलेट इस्तेमाल करने के लिए ऊपर हॉस्टल में जाना पड़ता है। धमाकों की आवाज से डर लगता है, इसलिए ज्यादा देर ऊपर नहीं रुक सकते। तुरंत भागकर बंकर में आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उनके साथ करीब तीन सौ भारतीय बच्चे फंसे हुए हैं। यहां से बोर्डर 1200 किमी दूर है और बाहर बमबारी हो रही है। ट्रेन बस नहीं चल रही। इसलिए बिना सरकारी मदद के नहीं निकल सकते। भारतीय दूतावास के ऑफिशियल्स अब फोन नहीं उठा रहे हैं। मदद के लिए किसी से कोई संपर्क नहीं हो रहा है। उन्होंने निवेदन किया कि उन्हें इस मुश्किल भरे हालात से बाहर निकालने के लिए सरकार उनकी मदद करे। आकाश के पिता डॉ. राम कुमार प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। घर में परिजन परेशान हैं।
प्लीज! हमें बचा लीजिए, पांच दिन से बंकर में घुटन होने लगी है
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