Thursday, November 28, 2024
Homeउत्तराखण्डयुद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसी देहरादून की गजाला खान, सहमी आवाज में बयां...

युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसी देहरादून की गजाला खान, सहमी आवाज में बयां की अपनी दास्तां

हर मिनट धरती में कंपन उत्पन्न कर देने वाले धमाकों की गूंज के बीच पैदल खारकीव को छोड़ना बहुत मुश्किल था। हर पल जेहन में डरावने ख्याल आ रहे थे, लेकिन एक-दूसरे को ढाढस बंधाते हुए सहपाठियों के साथ किसी तरह मेट्रो स्टेशन तक पहुंची। वहां कई घंटे तक इंतजार के बाद लवीव के लिए ट्रेन मिली। बुधवार सुबह हम लवीव पहुंचे। अब यहां से बस से हंगरी बार्डर की तरफ बढ़ रहे हैं। अब मन में उम्मीद के अंकुर फूटे हैं, लेकिन चिंता भी सता रही है कि घर कब तक पहुंच पाऊंगी। युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसी दून की गजाला खान ने दैनिक जागरण से सहमी आवाज में कुछ इस तरह अपनी दास्तां बयां की।
देहरादून के माजरा में रहने वाली गजाला यूक्रेन की खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से चिकित्सा की पढ़ाई कर रही हैं। रूस-यूक्रेन के बीच छिड़े संघर्ष के पहले दिन से ही गजाला खारकीव में थीं। लेकिन, मंगलवार को भारतीय दूतावास की ओर से हर हाल में खारकीवी को छोड़ने की गाइडलाइन जारी होने के बाद गजाला को भी अपने सहपाठियों के साथ बमबारी के बीच पैदल मेट्रो स्टेशन के लिए रवाना होना पड़ा। दैनिक जागरण से फोन पर हुई बातचीत में गजाला ने अपने सफर की कहानी साझा करते हुए बताया कि खारकीव में हालात बहुत भयावह हो गए हैं।
गजाला खारकीव में अपने सहपाठियों के साथ एक इमारत में रुकी थीं। मंगलवार को उनके लवीव के लिए निकलने से पहले ही उस इमारत के नजदीक एक बम धमाका हुआ, जिसमें शापिंग कांप्लेक्स ध्वस्त हो गया। इसने पहले से डरी-सहमी गजाला व उनके सहपाठियों के भय को और बढ़ा दिया। मेट्रो स्टेशन तक पहुंचने के लिए तमाम प्रयास के बाद भी कोई वाहन नहीं मिला। वाहन की तलाश में धीरे-धीरे समय गुजरता जा रहा था। बम के धमाके भी जारी थे। इससे मन में अशांति बढ़ती जा रही थी। ऐसे में सभी ने पैदल ही स्टेशन तक जाने का निर्णय लिया। एक-दूसरे को ढाढस बंधाते हुए सभी इमारत से निकले। रास्ते में एक तरफ बमबारी की चपेट में आ जाने का भय सता रहा था तो दूसरी तरफ घर पहुंचने की आस से साहस मिल रहा था।
किसी तरह बचते-बचाते सभी लोग मेट्रो स्टेशन पहुंचे। वहां पहुंचे तो भीड़ देखकर पसीने छूट गए। हर कोई सुरक्षित स्थान तक पहुंचने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहा था। हमें लवीव जाना था। जानकारी जुटाने पर पता चला कि लवीव के लिए ट्रेन कुछ घंटे बाद आएगी। ऐसे में स्टेशन में ही ट्रेन का इंतजार करने लगे। इस सबके बीच बाहर धमाकों का क्रम जारी थी। स्टेशन में सभी डरे-सहमे बैठे थे। भीड़ के बावजूद मन में भय का सन्नाटा पसरा था, जिसे बाहर हो रहे धमाकों की आवाज बार-बार तोड़ रही थी। जैसे ही लवीव जाने वाली ट्रेन आई, हम लोग उसमें सवार हो गए।
दूतावास में नहीं हुआ किसी से संपर्क
गजाला ने बताया कि अब तक भारतीय दूतावास में किसी से संपर्क नहीं हो पाया है। ऐसे में हंगरी बार्डर पर वीजा मिलने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, उनका पहला लक्ष्य हंगरी बार्डर पहुंचना है। वहां जाकर देखेंगे कि आगे क्या करना है। बताया कि लवीव में उन्होंने खाने-पीने का सामान स्टाक कर लिया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments