आस्था के आगे कठिन राह भी आसान हो जाती है। इसकी बानगी देहरादून जिले में जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के लाखामंडल से सटे भटाड़ गांव में देखी जा सकती है। यहां स्थानीय लोग श्रमदान कर स्वयं के संसाधनों से जीर्ण-शीर्ण हो चुके बाबा केदार के पांडवकालीन मंदिर का पुनर्निर्माण करा रहे हैं। मूल स्वरूप में बन रहे इस मंदिर के निर्माण में प्रयुक्त हो रही देवदार लकड़ी की नक्काशी (कलाकृति उकेरने) को हिमाचल प्रदेश के रोहडू से राजमिस्त्री बुलाए गए हैं। जौनसार-बावर के चकराता प्रखंड से जुड़े पांडवकालीन महत्व के लाखामंडल क्षेत्र में बाबा केदार का प्राचीन मंदिर है। लाखामंडल से करीब दस किमी आगे पर्यटन स्थल मानथात के भटाड़ में करीब 50 परिवार निवास करते हैं। 14 जनवरी 2021 इन परिवारों ने यहां पीढिय़ों पुराने बाबा केदार के जीर्ण-शीर्ण मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया।
मंदिर निर्माण के लिए गांव के नौकरीपेशा व्यक्तियों समेत अन्य ग्रामीण परिवारों ने लगभग 35 लाख की रकम जुटाई। इसके अलावा ग्रामीणों ने वन विभाग से पन्नालाल सेटलमेंट व्यवस्था के तहत हक-हकूक के रूप में घर-मकान बनाने को मिली देवदार की लकड़ी भी बाबा केदार को भेंट कर दी। साथ ही बिना किसी सरकारी मदद के श्रमदान कर मंदिर निर्माण में जुट गए।
मंदिर निर्माण के लिए शुरुआती चरण में देवदार की लकड़ी पर पारंपरिक ढंग से नक्काशी की जा रही है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू-पारसा गांव से राजमिस्त्री बुलाए गए हैं, जो बीते एक वर्ष से बाबा केदार के मंदिर को भव्य स्वरूप देने में जुटे हुए हैं। मंदिर निर्माण में 1.5 करोड़ की लागत आने का अनुमान है। केदारनाथ मंदिर के पुजारी एवं मंदिर निर्माण समिति भटाड़ के अध्यक्ष चंडी प्रसाद नौटियाल बताते हैं कि देवदार की लकड़ी पर नक्काशी का आधा से अधिक कार्य हो चुका है।
मंदिर खोलने के लिए तीन मार्च की तिथि तय है। इस दिन बाबा केदार के देव चिह्नों को पुराने मंदिर के गर्भगृह से गाजे-बाजे के साथ मानथात स्थित प्राचीन स्थल पर लाया जाएगा। भटाड़ में नए मंदिर का कार्य पूरा होने पर देव चिह्नों की गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस अवधि में बाबा केदार की नियमित पूजा मानथात में होगी। मंदिर समिति की ओर से तीन मार्च को श्रद्धालुओं के लिए भटाड़ में भंडारे की व्यवस्था की गई है।
लाखामंडल से सटे इस गांव में नए स्वरूप में निखर रहा बाबा केदार का प्राचीन मंदिर
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