Wednesday, October 30, 2024
Homeउत्तराखण्डगंगा सप्तमी स्नान: श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डूबकी, हर की पैडी...

गंगा सप्तमी स्नान: श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डूबकी, हर की पैडी पर सीएम धामी ने पत्नी संग किया पूजन, जानिए आज का महत्व

गंगा सप्तमी स्नान के लिए आज रविवार को हरिद्वार में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। वहीं सीएम धामी ने भी पत्नी संग यहां पहुंचकर गंगा पूजन किया। आज के इस दिन का अपना एक विशेष महत्व है। जिस कारण यहां स्नान के श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। रविवार सुबह हरिद्वार में गंगा सप्तमी स्नान के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा। इस दौरान हर की पैडी पर सीएम पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे। वह अपनी पत्नी संग यहां पहुंचे। उन्होंने पत्नी के साथ यहां गंगा पूजन किया। बता दें, कि चंपवात उपचुनाव नजदीक है। ऐसे में सीएम धामी मां गंगा से जीत का आशीर्वाद लेने पहुंचे। इस दौरान गंगा सभा के पदाधिकारी भी मौजूद रहे। सृष्टि के आरंभ में विष्णु प्राकट्योत्सव के दिन भगवान विष्णु के नख से निकली मां गंगा का आज जन्मोत्सव है। जन्म के बाद से ब्रह्मलोक में बहने वाली भगवती गंगा कालांतर में भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर आज के दिन शिव के जटाओं में अवतरित हुईं थी। एक महीने बाद मां गंगा धरावासियों के कल्याणार्थ धरती पर उतरीं और गंगासागर तक बहीं। कैलाश से गंगासागर तक संपूर्ण गांगेय क्षेत्र में सप्तमी के दिन गंगा जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जगह जगह घाटों पर गंगा पूजन होगा और गंगा की आरती उतारी जाएगी। पद्मपुराण आख्यान के अनुसार अनादि विष्णु ने जब ब्रह्मांड की सृष्टि की तब अनादि ब्रह्मा ने उनके चरण धोए। विष्णु के चरणों से जलधारा फूटी। इस चरणोदक को ब्रह्मा ने अपने कमंडल में भर लिया और यही गंगा कहलाई। तब से गंगा ब्रह्मलोक में बह रही थीं। कपिल मुनि के आश्रम में पड़ी अपने पुरखे साठ हजार सगरपुत्रों की मुक्ति के लिए अयोध्या के राजा भगीरथ ने तपस्या कर गंगा को धरा धाम पर आने को राजी कर लिया। गंगा का वेग सहने के लिए भगीरथ ने पुन: तपस्या कर भगवान शंकर को राजी कर लिया। तब गंगा ब्रह्मलोक से स्वर्ग के रास्ते शिव की जटाओं में उतरी। स्वाति नक्षत्र और अमृत सिद्धि योग में आज सप्तमी पर गंगा अवतरण के समय उपस्थित सभी योग पड़ रहे हैं। गंगा जन्म की कुछ अन्य गाथाएं भी हैं। मत्स्य और विष्णु पुराण के हवाले से आचार्य ज्ञानभूषण शुक्ल बताते हैं कि एक बार राधाकृष्ण ने स्वर्ग में महारास किया। इस रास में राधा और कृष्ण इतने लीन हो गए कि जलरूप होकर गंगाजल बन गए। वही गंगा भगीरथ लाए। गंगा को जन्हु पुत्री, विष्णुपदि, नीलवर्णा, जटाजूटरी, महेश्वरी, भागीरथी आदि अनेक नामों से पुकारा गया है। गंगा के सहस्र नाम हैं और उतनी ही कथाएं भी। गंगा भारत के अभ्युदय और उत्थान की गवाह रही है। भारत में हरित क्रांति का शत प्रतिशत श्रेय गंगा, यमुना आदि नदियों को दिया जाता है। रविवार को देश के तमाम तीर्थों पर गंगोत्सव होंगे। हरिद्वार में गंगा मैया की भव्य डोली यात्रा हर की पैड़ी तक निकाली जाएगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments