हरिद्वार का पंचायत उपचुनाव पर इस बार कानूनी अड़चन आ गई है। निर्वाचन आयोग की ओर से चल रही परिसीमन और आरक्षण की कार्रवाई भी अधर में लटकी है। अब अगली कैबिनेट में महाधिवक्ता से राय लेने के बाद ही कोई निर्णय होगा। हरिद्वार जिले में 28 मार्च 2021 को पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया था। तब से एडीओ पंचायत बतौर प्रशासक नियुक्त थे। जिले में 306 ग्राम पंचायतें, 47 जिला पंचायत और 221 क्षेत्र पंचायत के पद हैं। जब भी प्रक्रिया शुरू होती है, किसी न किसी कारण से अटक जाती है। पहले 29 नवंबर को आरक्षण के लिए अनंतिम सूची जारी होनी थी, लेकिन इसे स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद 10 दिसंबर को इसका प्रकाशन होना था, इसे भी स्थगित कर दिया गया था। फिर 22 फरवरी को आरक्षण के लिए अनंतिम सूची का प्रकाशन किया जाना था लेकिन आचार संहिता का हवाला देकर इसे भी रोक दिया गया। अब मई माह में सूची का प्रकाशन होना था लेकिन कानूनी पचड़ों के चलते इसे फिर स्थगित कर दिया गया है।
फिलहाल पंचायत चुनाव की पूरी प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है। कैबिनेट बैठक में मामला आया तो तय किया गया कि अब इस मामले में अगली कैबिनेट बैठक में महाधिवक्ता को बुलाकर कानूनी पहलुओं की जानकारी ली जाएगी। इसके बाद ही कोई निर्णय होगा।
-हरिद्वार पंचायत चुनाव को लेकर कुछ कानूनी मसले हैं। कैबिनेट ने महाधिवक्ता से राय लेकर ही कोई फैसला लेने का निर्णय लिया है। इसके बाद ही पंचायत चुनाव की तस्वीर साफ हो पाएगी। -नितेश झा, सचिव, पंचायती राज
कानूनी पचड़ों में फंस गया पंचायत चुनाव, अब कैबिनेट में महाधिवक्ता से राय लेने के बाद होगी तस्वीर साफ
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