उत्तराखंड में फिर बेरोजगारी की दर में वृद्धि हो गई है। कोरोना काल से प्रदेश में ऐसे ही हालात बने हैं। चिंता की बात यह है कि शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारों की संख्या में इजाफा देखा गया है। ऐसे में प्रदेश सरकार को बेरोजगारी दर को कम करने के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे। कोरोना संक्रमण के बाद से उत्तराखंड में बेरोजगारी दर को पूरी तरह से काबू कर पाना मुश्किल होता जा रहा है। इस साल राज्य में बेरोजगारी दर बढ़कर 5.33 फीसदी तक पहुंच गई है। मार्च (3.51) के मुकाबले अप्रैल (5.33) में ही करीब दो फीसदी की वृद्धि हुई है। चिंताजनक बात ये है कि शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ रही है। शहरी क्षेत्रों में जहां अप्रैल में बेरोजगारी दर 4.89 फीसदी दर्ज की गई है वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में ये 5.53 फीसदी है। जनवरी से अप्रैल तक शहरी क्षेत्रों में 1.57 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों की बेरोजगारी दर में 1.99 फीसदी का इजाफा हुआ है। यानी विभिन्न सरकारी योजनाओं के संचालन के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पाना चुनौती बना हुआ है। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) संस्था की हाल ही में जारी रिपोर्ट में उत्तराखंड की बेरोजगारी दर का यह खुलासा हुआ है।
ऐसे तैयार की जाती है रिपोर्ट
सीएमआईई 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का सर्वे कर उनसे रोजगार की स्थिति की जानकारी इकट्ठा करता है। इसके बाद जो परिणाम सामने आते हैं, उनके आधार पर बेरोजगारी रिपोर्ट तैयार की जाती है। इसे ऐसे समझा जा सकता है। किसी महीने की बेरोजगारी दर 5.5 फीसदी रहने का मतलब होता है कि वहां प्रत्येक 1000 लोगों में से 55 को कोई काम नहीं मिला है।
मई में बेरोजगारी दर बढ़कर 5.33 फीसदी पर पहुंची, CMIE ने दी जानकारी
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