राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और नर्सिंग कॉलेजों में आउटसोर्स के माध्यम से तैनात किए जा रहे कर्मचारियों को सिक्योरिटी मनी नहीं देनी पड़ेगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट करते हुए कर्मचारियों से सिक्योरिटी ले रही फर्म को नोटिस जारी किया है। कंपनी को इस मामले में एक दिन में जबाव देने के साथ ही ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी भी दी गई है। दरअसल राज्य सरकार ने अस्पतालों से हटाए गए कर्मचारियों को खाली पदों के आधार पर दुबारा कॉलेज और अस्पतालों में नियुक्ति करने का निर्णय लिया था। इसके तहत दून मेडिकल कॉलेज में प्राइवेट आउटसोर्स एजेंसी ने नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करते हुए कर्मचारियों से सिक्योरिटी मनी के रूप में 25 हजार से लेकर 40 हजार रुपये तक मांगे थे। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने कर्मचारियों से की जा रही इस वसूली की खबर को प्रमुखता से उठाया था।
इसके बाद अब चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस मामले का संज्ञान लिया है। अखबार में यह खबर प्रकाशित होने के बाद बुधवार को अपर निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ आशुतोष सयाना ने कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से तैनाती देने वाली फर्म टीडीएस मैनेजमेंट कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किया है। फर्म को 12 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। ऐसा न होने पर कंपनी को विभाग में ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी दी गई है।
कोविड काल में हटाए गए थे 2200 कर्मचारी
सरकार ने कोरोना काल में राज्य के मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों में 2200 के करीब कर्मचारियों को उपनल, पीआरडी और प्राइवेट एजेंसियों के जरिए नियुक्ति दी थी। लेकिन इस वर्ष 31 मार्च को उन्हें निकाल दिया गया था। कर्मचारियों के आंदोलन के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने कर्मचारियों को दोबारा खाली पदों के सापेक्ष नियुक्त करने के आदेश दिए थे। उसी के तहत अब आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से कर्मचारियों की तैनाती की जा रही है।
अब आउटसोर्स नौकरी के लिए नहीं देनी होगी 40 हजार की सिक्योरिटी, कर्मचारियों से पैसा वसूलने वाली कंपनी को विभाग ने भेजा नोटिस
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