उत्तराखंड में श्रम विभाग अगले चार माह में असंगठित क्षेत्र के 7000 श्रमिक ढूंढकर उन्हें प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना से जोड़ेगा। श्रम मंत्रालय ने सुस्त चल रही इस योजना की गति बढ़ाने के लिए देशभर में 75 जिले चयनित किए हैं। इनमें उत्तराखंड के हरिद्वार और चम्पावत जिले भी शामिल हैं। इन दोनों जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस योजना को शुरू करने का आदेश उत्तराखंड श्रम निदेशालय ने जारी कर दिया है। इस योजना की शुरुआत 2019 में उन श्रमिकों के लिए की गई थी जो रिक्शा चलाने, स्ट्रीट वेंडर, हेड लोडर, ईंट भह्वा, मोची, कूड़ा बीनने, घरेलू कामगार, वॉशर समेत 127 तरह के कार्यों से जुड़े हैं। योजना के तहत असंगठित श्रमिक जिनकी उम्र 18 से 40 साल तक है उन्हें 60 वर्ष की उम्र पूरी होने पर पेंशन के तौर पर प्रतिमाह 3000 रुपये दिए जाएंगे। योजना शुरू होने से अब तक उत्तराखंड में केवल 30 हजार श्रमिक ही इससे जुड़ सके हैं। इसके पीछे योजना की जानकारी न होना सबसे बड़ी वजह है। देशभर में 75 जिलों का चयन कर वहां एक निश्चित लक्ष्य देकर श्रमिकों को जोड़ने को कहा गया है। हल्द्वानी स्थित श्रम निदेशालय के अनुसार हरिद्वार जिले में 3400 और चम्पावत में 3600 श्रमिकों को अगले 4 माह में योजना से जोड़ा जाना है। इसके बाद अन्य जिलों में भी लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे।
50 प्रतिशत अंशदान केंद्र सरकार देगी
योजना के माध्यम से उन सभी असंगठित क्षेत्र के कामगारों को पेंशन प्रदान की जाएगी जिनकी मासिक आय य्15000 रुपये या फिर इससे कम है। अलग-अलग आयु सीमा के आधार पर लाभार्थी को 55 रुपये से लेकर 200 रुपये तक अंशदान चुकाना होगा, इतना ही अंशदान केंद्र सरकार द्वारा भी दिया जाएगा। 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद अंशदान का यही पैसा पेंशन के तौर पर मिलेगा।
श्रम आयुक्त ने ली बैठक
योजना के क्रियान्वयन को लेकर श्रम आयुक्त संजय कुमार खेतवाल ने गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के श्रम विभाग के अफसरों की बैठक भी ली है। उन्होंने सभी सहायक श्रम आयुक्त, उप श्रम आयुक्त, श्रम अधिकारियों आदि को निर्देशित किया। गढ़वाल मंडल की बैठक देहरादून व कुमाऊं की हल्द्वानी स्थित श्रम कार्यालय में हुई।
हरिद्वार, चम्पावत में 4 माह में ढूंढे जाएंगे 7000 श्रमिक, 50 प्रतिशत अंशदान देगी केंद्र सरकार
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