Monday, November 18, 2024
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कुमाऊं में रेडीमेड कपड़ों की सप्लाई लड़खड़ाई, कीमत बढ़ी

कुमाऊं में रेडीमेड कपड़ों की सप्लाई लड़खड़ा गई है। इनकी कीमतों में भी 40 फीसदी तक इजाफा हुआ है। कोरोना की चौथी लहर की आशंका के चलते रेडीमेड कपड़ा निर्माता कम्पनियों ने सीमित उत्पादन किया। वहीं अब चीन के शंघाई से आने वाले कच्चे माल की सप्लाई प्रभावित हो गई है। इससे भी कपड़ों की फैक्ट्रियों में उत्पादन भी असर पड़ा है।
कुमाऊं की बात करें तो हल्द्वानी पूरे मंडल का सबसे बड़ा बाजार है। पहाड़ों में रेडीमेड कपड़ों की 50 फीसदी सप्लाई यहीं से होती है। थोक के साथ ही हल्द्वानी का रीटेल रेडीमेड कपड़ा कारोबार मुख्य रूप से पहाड़ से आने वाले लोगों पर ही निर्भर है। यहां हर माह 50 लाख रुपये से ज्यादा का कारोबार होता है। कपड़ों की कीमतों में हुए इजाफे और सप्लाई प्रभावित होने का असर यहां के बाजार पर पड़ा है। वर्तमान स्थिति ये है कि थोक का काम 30 से 40 फीसदी तक कम हो गया है। वहीं रीटेल कारोबारी भी महंगा माल मिलने की वजह से सीमित संख्या में ही सामान रख रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि जुलाई जैसे ऑफ सीजन की स्थितियां एक महीने पहले ही आ गई हैं।
अब 15 दिन में दिल्ली जा रहे व्यापारी ::
हल्द्वानी और रामनगर के रेडीमेड कपड़ा व्यापारी अपनी दुकान के लिए सामान लेने मुख्य रूप से दिल्ली थोक बाजार जाते हैं। व्यापारियों के अनुसार हर हफ्ते साप्ताहिक अवकाश के दिन दिल्ली जाकर सामान लाते थे। लेकिन वर्तमान में खरीदार नाम मात्र की हो रही है। ऐसे में व्यापारी अब कम से कम 15 दिन के अंतराल में दिल्ली जा रहे हैं।
सर्दियों के कपड़े महंगे होने की आशंका ::
कच्चे माल की सप्लाई प्रभावित होने का असर गर्मी के कपड़ों पर तो पड़ा है, अब सर्दियों के कपड़े भी महंगे होने की आशंका जताई जा रही है। व्यापारियों के अनुसार फैक्ट्रियों में जुलाई-अगस्त माह से सर्दी के कपड़ों का उत्पादन शुरू हो जाता है। ऐसे में सर्दियों के कपड़े भी करीब 30 फीसदी तक महंगे होने की आशंका है।
बोले व्यापारी ::
रेडीमेड कपड़ा कारोबार की स्थिति वर्तमान में काफी खराब है। कपड़े पहले से काफी महंगे हो गए हैं। स्थिति ये है कि दुकानें सामान पड़ा है और ग्राहकों का पता नहीं है। – दलजीत सिंह
कारोबार की स्थिति काफी खराब है। अभी से ऑफ सीजन जैसी स्थिति बन गई है। कम्पनियों ने उत्पादन कम किया है और कपड़ा भी काफी महंगा भी हो गया है। – अतुल गुप्ता
पिछले कुछ समय में काम काफी प्रभावित हुआ है। गर्मियों में अच्छा काम होने का अनुमान था लेकिन हुआ नहीं। कपड़ों की कीमत 40 फीसदी तक बढ़ी है और सर्दियों के कपड़ों पर भी असर दिखने की आशंका है। – प्रखर मित्तल

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