उत्तराखंड में यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर रविवार की शाम को डामटा रिखाऊं खड्ड के पास दर्दनाक हादसा हुआ है। यहां अनियंत्रित होकर एक बस 200 फीट गहरी खाई में गिर गई। इस हादसे में 26 लोगों की मौत हो गई जबकि चार घायल हैं। इनमें से 23 ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था जबकि तीन की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई। सूचना मिलते ही पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची है। बचाव कार्य जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आपदा कंट्रोल रूम पहुंचे हैं। उन्होंने घायलों के समुचित उपचार की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान भी देहरादून पहुंच गए हैं। उन्होंने मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की है। बस में चालक-परिचालक और मध्यप्रदेश के जिला पन्ना के गांव जखला निवासी तीर्थयात्री सवार थे। हादसा यमुनोत्री हाईवे पर डामटा से करीब 5 किमी दूर रिखाऊं खड्ड क्षेत्र में हुआ। बस हरिद्वार से यमुनोत्री धाम के लिए चली थी। पुरोला थानाध्यक्ष अशोक कुमार ने बताया कि सात घायलों को निकाला गया जिसमें तीन महिलाएं थीं। उन्हें उपचार के लिए सीएचसी नौगांव में भर्ती कराया गया। इनमें से तीन ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। चार घायलों का इलाज चल रहा है।
घटनास्थल तक पहुंचने से पहले बंद हो चुकी थी यात्रियों की चीख-पुकार
यमुनोत्री हाईवे पर डामटा से करीब 5 किमी दूर रिखाऊं खड्ड क्षेत्र में जब तीर्थयात्रियों से भरी बस खाई में गिरी तो उसे सबसे पहले नदी पार जौनसार के कोटा गांव के लोगों की छानी में रहने वाले श्यामू ने देखा।उसने फोन पर रिखांऊ खड्ड में होटल चला रहे वीरेंद्र पंवार को बताया तो आसपास मौजूद सभी लोग डेढ़ किलोमीटर दूर घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े। उनके पहुंचने से पहले बस में सवार घायलों की चीख-पुकार थम चुकी थी। फिर जिंदा यात्रियों की तलाश की कोशिशें शुरू हुईं जिसे बाद में बड़कोट और पुरोला पुलिस के साथ ही एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने जारी रखा। रिखांऊ खड्ड में होटल चलाने वाले वीरेंद्र पंवार ने बताया कि मध्य प्रदेश के यात्रियों की दो बसें यमुनोत्री की ओर निकलीं थी। पहली बस 15 किलोमीटर आगे पहुंच गई थी। हादसे की सूचना पर बस लौटी। उसमें मौजूद यात्रियों में से एक ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त बस में सवार यात्री ने फोन कर हादसे की सूचना दी थी। साथ ही झाड़ियों में फंसने की बात कही थी। इस पर झाड़ियों में घायलों की तलाश की गई। उन यात्रियों ने ही बस में सवार लोगों के गांव के बारे में बताया था। वह आज तय करेंगे की आगे की यात्रा करनी है या नहीं।
मदद पहुंचने से पहले बंद हो चुकी थी तीर्थयात्रियों की चीख-पुकार, बिखरीं थीं लाशें ही लाशें
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