अल्मोड़ा। मुख्यालय में स्थित जिला अस्पताल में मरीजों के लिए ब्लड बैंक है। प्रचुर मात्रा में रक्त भी उपलब्ध भी रहता है। बैंक में ब्लड सेपरेटर मशीन नहीं होने के कारण कई जरूरतमंद मरीजों को प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, डब्ल्यूबीसी और रेडबीसी नहीं मिल पाते हैं। मजबूरी में मरीजों को हायर सेंटर जाना पड़ता है। जिले में मेडिकल कॉलेज स्थापित होने के बाद भी एकमात्र जिला अस्पताल में ब्लड बैंक की सुविधा है। इसकी क्षमता 350 यूनिट है। यहां से महिला और बेस अस्पताल के साथ ही निजी अस्पतालों को भी रक्त की आपूर्ति की जाती है। अकेले बेस अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए ही माह में 50 से 60 यूनिट ब्लड की जरूरत होती है।
ब्लड बैंक होने के बावजूद जिला और बेस अस्पताल आने वाले हर मरीज की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है। दरअसल एक व्यक्ति एक यूनिट रक्तदान कर सकता है। एक यूनिट रक्त से चार मरीजों की जान बचाई जा सकती है लेकिन यहां एक यूनिट रक्त केवल एक ही मरीज के काम आ रहा है। एक यूनिट रक्त में कई तत्व होते हैं, इसमें सफेद रक्त कणिकाएं, लाल रक्त कणिकाएं, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स शामिल है। डेंगू के मरीज को प्लेटलेट्स, आग से जले मरीज को प्लाज्मा, थैलीसिमिया के मरीज को लाल रक्त कणिकाओं और एड्स के मरीज को सफेद रक्त कणिकाओं की जरूरत इलाज के लिए होती है। एक यूनिट रक्त से इन तत्वों को ब्लड सेपरेटर मशीन से अलग किया जाता है। तत्वों के अलग होने के बाद इन रोगों से ग्रस्त चार मरीजों को एक यूनिट रक्त का लाभ मिलता है। जिला अस्पताल में मशीन न होने से डेंगू, एड्स, जलने वाले और थैलीसिमिया के मरीजों को ब्लड बैंक का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मजबूरी में इन रोगों के मरीजों को इलाज के लिए हायर सेंटर जाना पड़ता है।
जिला अस्पताल में मरीजों के लिए ब्लड बैंक है जिससे जरूरत के समय मरीजों को ब्लड मिल जाता है। यहां ब्लड सेपरेटर मशीन नहीं है जिससे ब्लड के तत्वों को अलग नहीं किया जा सकता। जबकि ऐसी जरूरत के मरीज भी अस्पताल आते हैं। अस्पताल में मशीन लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय में पत्राचार कर डिमांड की गई है। – डॉ. आरसी पंत, सीएमओ, अल्मोड़ा।
अस्पताल में ब्लड बैंक, ब्लड भी भरपूर, फिर भी मरीज हायर सेंटर जाने को मजबूर
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