रूम टू रीड संस्था की ओर से दून स्थित एक होटल में रीडिंग अभियान के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर संस्था की राज्य प्रभारी पुष्पलता रावत ने कहा कि उत्तराखंड के समस्त जिलों में पुस्तकालय तो हैं। लेकिन वहां बच्चों के लिए बहुत कम सामग्री उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी में पढ़ने की संस्कृति विकसित करने के लिए प्राथमिक विद्यालयों, आंगनबाड़ी में मनोरंजक बाल साहित्य उपलब्ध करवाया जाए। वरिष्ठ साहित्यकार बीना बेंजवाल ने कहा कि बच्चों में पढ़ना एक आदत बने, यह आज की आवश्यकता है। लेकिन बच्चे क्या पढ़ना पसंद करेंगे यह बच्चों पर छोड़ देना ही ठीक है। योगेश धस्माना ने कहा कि बुनियादी शिक्षा को रुचिकर बनाने में बाल साहित्य से ज्यादा कारगर कोई अन्य माध्यम नहीं है। पर्वतीय बाल मंच की अदिति ने कहा कि बालिकाओं में संवेदना ज्यादा गहरी होती है। ऐसे में उनको जो भी सामग्री पढ़ने के लिए दी जाय वह कौशल-विकास को बढ़ावा देने वाली होनी चाहिए। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट ने देहरादून के पुराने पुस्तकालयों की दुर्दशा को लेकर खेद जताया। इस दौरान आसरा ट्रस्ट के सीआर चौहान, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के अशोक कुमार मिश्र, धाद के लोकेश नवानी, शिवा अग्रवाल,आशा डोभाल,प्रेम बहुखंडी, सुधीर भट्ट आदि मौजूद थे।
पुस्तकालयों में उपलब्ध हों पर्याप्त पुस्तकें
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