शमशेरगढ़ क्षेत्र से पकड़ी गई मादा गुलदार को मसूरी के जंगलों में छोड़ दिया गया। इससे पहले होश में आने पर गुलदार को रात में मुर्गा खिलाया गया। वन विभाग की टीम ने बृहस्पतिवार देर रात गुलदार को पिंजड़े से बाहर निकाल कर छोड़ दिया। वन विभाग की टीम बृहस्पतिवार को शमशेरगढ़ से ट्रैंकुलाइज (बेेहोश) कर मादा गुलदार को पिंजड़े में बंद कर रायपुर रेंज कार्यालय परिसर में ले गई थी। देर रात तक उसे पशु चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया था। चिकित्सकों ने गुलदार के शरीर जांच की। उसके शरीर में कहीं भी चोट या घाव नहीं थे। होश में आने पर गुलदार को रात को चार से छह मुर्गे और अन्य मांस खिलाया गया। करीब डेढ़ साल की इस मादा गुलदार के स्वस्थ नजर आने पर देर रात वन विभाग की टीम वाहन से पिंजड़े को लेकर मसूरी ब्लॉक वाइल्ड लाइफ सेंच्अरी के जंगलों में ले गई। जहां पिंजड़ा खोलकर गुलदार को छोड़ दिया गया। रायपुर वन रेंज अधिकारी राकेश नेगी ने बताया कि गुलदार को मसूरी के जंगलों में छोड़ दिया गया है।
मादा गुलदार जंगल से भटककर आबादी क्षेत्र में पहुंच गई थी
चार साल से कम उम्र के गुलदार अक्सर रास्ते भटक जाते हैं। जंगल से आबादी क्षेत्र में आने पर ऐसे गुलदार को वापसी का रास्ता ढूंढने में उलझन रहती है। वन विभाग के एसडीओ डॉ. उदयनंद गौड़ ने बताया कि बालावाला में भी करीब डेढ़ साल की मादा गुलदार जंगल से भटककर आबादी क्षेत्र में पहुंच गई थी। संभवतया जंगल में वापस जाने के लिए ही वह एक से दूसरे गांव के क्षेत्र में भटकती रही। बताया कि गुलदार इंसान पर तभी हमला करता है, जब कोई उसे परेशान करता या छेड़ता है। आमतौर पर कम उम्र का गुलदार ज्यादा हमला करने की स्थिति में नहीं होता। यही वजह है यह मादा गुलदार क्षेत्र में जंगली मुर्गे और खरगोश का शिकार कर रही थी। उसने एक छोटे बछड़े को भी शिकार बनाया था। वन अधिकारी राकेश ने बताया कि लगभग चार साल से ऊपर की उम्र के गुलदार में यह समझ विकसित हो जाती है कि वह कहां से आया है। उसे यह पता रहता है कि उसी जगह वापस कहां से होकर जाना है। कुत्ता गुलदार का आसान शिकार होता है। इसके अलावा जंगल में गुलदार अक्सर काकड़, चीतल, घुरड़ आदि को खाता है।
होश में आते ही मादा गुलदार को खिलाए गए छह मुर्गे, फिर मसूरी के जंगलों में छोड़ा, रोचक है ये किस्सा
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