नैनीताल जिले में एक इंस्पेक्टर और 8 दरोगाओं के खिलाफ जांच चल रही है। इन लोगों पर कई तरह के गंभीर आरोप हैं। बावजूद इसके इन्हें थाने-चौकियों की जिम्मेदारी दी गई है। बताया जा रहा है कि इसमें से कुछ दरोगा ऊंची पहुंच वाले भी हैं, जिन्हें जांच का भी कोई डर नहीं है। यह खुलासा आरटीआई में हुआ है। लोगों के आरोप-प्रत्यारोप के बाद विवादित दरोगाओं व इंस्पेक्टरों को लाइन से अटैच किया जाता है, ताकि जांच प्रभावित न हो सके। इसके बाद जैसे ही मामले शांत होते हैं, इन्हें फिर से थाना-चौकी और कोतवालियों प्रभार दे दिया जाता है। सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी से साफ है कि लाइन हाजिर कोई सजा नहीं होती है।
जिन मामलों में जनता आक्रोशित होती है, उनमें संबंधित पुलिसकर्मी को सिर्फ लाइन से अटैच किया जाता है। इसके बाद जब तक जांच पूरी न हो, इन्हें दोषी नहीं कहा जा सकता है। इसलिए इनकी ड्यूटी और चरित्र पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसी आरटीआई में खुलासा हुआ है कि जिले में एक इंस्पेक्टर और आठ दरोगा ऐसे हैं जिनके खिलाफ जांच चल रही है। इसके बाद भी इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं।
वाह रहे उत्तराखंड पुलिस! जांच के घेरे में आए दरोगा ही संभाल रहे थाने-चौकी
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