अयोध्या मस्जिद: 31 दिसंबर तक नई डिजाइन का नक्शा पास होने की उम्मीद, मार्च 2026 से शुरू हो सकता है निर्माण
राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण के साथ भव्य राम मंदिर निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद का काम अब भी शुरू नहीं हो पाया है। फैसला आए छह साल बीत चुके हैं और मस्जिद की नींव तक नहीं रखी जा सकी है। दो साल पहले राम मंदिर का उद्घाटन हो चुका है लेकिन मस्जिद परियोजना अभी भी कागजी औपचारिकताओं में अटकी हुई है।
नई डिजाइन तैयार, 31 दिसंबर तक नक्शा पेश होगा
सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवंटित पाँच एकड़ जमीन पर मस्जिद का नक्शा पहली बार आधुनिक डिजाइन में तैयार किया गया था, लेकिन समुदाय के कई लोग इसे स्वीकार नहीं कर पाए। अंडाकार आकार, दो मॉडर्न मीनारें और बिना मेहराब वाली संरचना लोगों को पारंपरिक स्वरूप से अलग लगी।
पहले जमा आवेदन प्रक्रियागत कमियों के कारण स्वतः निरस्त हो चुका था।
अब इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ने नई और पारंपरिक डिजाइन फाइनल की है। इसमें पांच मीनारें और एक गुंबद शामिल होंगे। ट्रस्ट 31 दिसंबर तक यह नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण में अनुमोदन के लिए पेश करेगा।
मार्च 2026 से शुरू होगा निर्माण कार्य
ट्रस्ट के अनुसार, यदि प्राधिकरण से समय पर मंजूरी मिल जाती है, तो मार्च 2026 के बाद मस्जिद का निर्माण धरातल पर शुरू किया जा सकेगा।
धन्नीपुर के खुले मैदान में फिलहाल जमीन का एक हिस्सा मजार के रूप में उपयोग होता है, जहां जायरीन आते रहते हैं।
फंड की भारी कमी
ट्रस्ट अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी ने बताया कि मस्जिद, वज़ूखाना और अन्य निर्माणों पर लगभग 65 करोड़ रुपये खर्च होंगे। लेकिन अभी ट्रस्ट के पास महज तीन करोड़ रुपये ही उपलब्ध हैं।
उन्होंने माना कि दान और जनता की सहभागिता उम्मीद से काफी कम है।
तकनीकी तैयारियाँ पूरी
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जमीन की सॉयल टेस्टिंग पूरी कर ली गई है।
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परिसर तक जाने वाले प्रवेश मार्ग के चौड़ीकरण पर प्रशासन से सकारात्मक सहमति बनी है।
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मस्जिद का मुख्य ढांचा 1400 वर्ग मीटर में बनेगा, जबकि पूरा परिसर पांच एकड़ में विकसित होगा।
नई मस्जिद की खास बातें
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पाँच मीनारें और एक मुख्य गुंबद
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एक साथ 5000 पुरुष व महिलाएं नमाज अदा कर सकेंगे
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कैंसर अस्पताल, संग्रहालय, लाइब्रेरी और सामुदायिक किचन
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रिसर्च सेंटर, शैक्षिक और सामाजिक सुविधाएँ