2022 के विधानसभा चुनावों में बागियों की पांच में से चार सीटों पर घटे मतदान ने भाजपा-कांग्रेस को उलझा कर रख दिया है। भीमताल सीट पर बढ़ा मतदान भी अप्रत्याशित परिणाम ला सकता है। रुद्रपुर व किच्छा सीट के मतदान में आई गिरावट से मुकाबला रोचक होने के आसार हैं। इन दोनों सीटों पर भाजपा के बागी चुनाव मैदान में हैं। हाईप्रोफाइल सीट लालकुआं में वर्ष 2017 में 72.18 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार के चुनाव में यहां 72.25 फीसदी मतदान हुआ है। इस प्रकार देखा जाए तो इस सीट पर .07 फीसदी मतदान बढ़ा है। इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और भाजपा के मोहन बिष्ट किस्मत आजमा रहे हैं। भाजपा के बागी पवन चौहान व कुंदन मेहता और कांग्रेस की बागी संध्या डालाकोटी भी मैदान में हैं। इस सीट पर बागी भाजपा-कांग्रेस दोनों को उलझा रहे हैं। भीमताल सीट को देखा जाए तो इस सीट पर वर्ष 2017 में 63.33 फीसदी मतदान हुआ था। वर्ष 2022 के चुनाव में यहां 65.09 फीसदी मतदान हुआ है। यहां 1.76 फीसदी मतदान बढ़ा है। जिसके चलते कांग्रेस के दान सिंह भंडारी, भाजपा के राम सिंह कैड़ा के साथ ही भाजपा के बागी निर्दलीय प्रत्याशी मनोज साह व लाखन सिंह नेगी के बीच गणित उलझता नजर आ रहा है। जिसके चलते इस सीट पर अप्रत्याशित परिणाम आ सकते हैं।
रुद्रपुर-किच्छा में गिरे मतदान से भाजपा में चिंता
ऊधमसिंह नगर की रुद्रपुर सीट पर 2017 में 73.29 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार के चुनाव में यहां 67.81 फीसदी वोट पड़े हैं। यहां रिकार्ड 5.48 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इस सीट पर पिछली बार भाजपा से विधायक चुने गए राजकुमार ठुकराल निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं किच्छा सीट में वर्ष 2017 में 73.31 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार 71.07 फीसदी वोट पड़े हैं। यहां मतदान में 2.24 फीसदी की गिरावट आई है। इस सीट पर भाजपा नेता अजय तिवारी पार्टी से बागवत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। जिसके चलते इस सीट पर भाजपा के लिए मुकाबला चुनौतीपूर्ण हो गया है।
रामनगर में आ सकता है चौंकाने वाला रिजल्ट
रामनगर सीट पर वर्ष 2017 में 71.07 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार 68.91 फीसदी वोट पड़े हैं। इस सीट पर भाजपा से विधायक दीवान सिंह बिष्ट व कांग्रेस से डॉ. महेन्द्र सिंह पाल चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के बागी निर्दलीय प्रत्याशी संजय नेगी ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। जिसके चलते इस सीट पर चौंकाने वाले परिणाम सामने आ सकते हैं।
बागियों की सीटों पर मत प्रतिशत घटने-बढ़ने से उलझे भाजपा-कांग्रेस
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