Thursday, October 31, 2024
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चुपके से लोगों की जेब काट रहे साइबर हैकर

काशीपुर। भागमभाग वाली जिंदगी में डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन कामकाज से बेशक समय की बचत हो रही है लेकिन इससे सुरक्षा संबंधी दुश्वारियां भी बढ़ रही हैं। साइबर हैकर नई-नई तकनीक ईजाद कर लोगों की गाढ़ी कमाई हड़प रहे हैं। जागरूकता के तमाम अभियानों पर हैकरों की ठगी भारी पड़ती नजर आ रही है। डिजिटल लेनदेन के दौर में साइबर ठग संगठित अपराध कर रहे हैं। कभी क्रेडिट कार्ड, कभी केवाईसी तो कभी ओएलएक्स पर बिक्री के नाम पर ठगी की वारदातें हो रही हैं। जिले में रोजाना साइबर ठगी की 25 से 30 शिकायतें पहुंच रही हैं। कुमाऊं मंडल में वर्ष 2019 में साइबर ठगी के 132, वर्ष 2020 में 156 व वर्ष 2021 में 270 मामले दर्ज किए गए। आमतौर पर साइबर ठग गूगल से सर्वे, ई-मेल का डाटा हासिल कर लेते हैं। उनकी ओर से सरकारी विभागों के नाम से मिलती जुलती ई-मेल आईडी अथवा वेबसाइट बनाकर लोगों को लिंक भेजे जाते हैं। लिंक पर क्लिक करने वाले व्यक्ति के कंप्यूटर अथवा मोबाइल में वायरस चला जाता है। इसके बाद हैकर खातों में सेंध लगाकर रकम पार कर देते हैं। खातों में ट्रांसफर की गई रकम निकालने के लिए हैकर फर्जी खातों और एटीएम कार्डों का प्रयोग करते हैं। हैकर गरीब लोगों को लालच देकर बैंकों में उनके खाते खुलवाकर एटीएम प्राप्त कर लेते हैं। एटीएम से रकम निकालने के लिए भी हैकर दिहाड़ी के लोगों का इस्तेमाल करते हैं। इस कारण पुलिस उन तक नहीं पहुंच पा रही है।
साइबर बुलिंग से की जा रही है खुली लूट
काशीपुर। इंटरनेट पर साइबर बुलिंग के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। यह एक तरह से ऑनलाइन रैगिंग है। इसमें फेंक आईडी सबसे बड़ी समस्या है। ऐसी आईडी से बुलिंग करने वाली युवतियां दोस्ती का प्रपोजल भेजकर मोबाइल नंबर हासिल कर लेती है। इसके बाद युवतियां फेसबुक चेटिंग अथवा वीडियोकॉल के माध्यम से आपत्तिजनक चेटिंग कर गलत वीडियो बना लेती है। बाद में इसे वायरल करने की धमकी देकर रकम की डिमांड की जाती है। अश्लील भाषा, फोटो के गलत उपयोग की धमकी देकर लोगों से ऑनलाइन रकम ठगी जा रही है। ज्यादातर कम उम्र के छात्रों अथवा प्रौढ़ लोगों को शिकार बनाया जा रहा है। अवसाद में आकर लोग आत्मघाती कदम उठाने को विवश हो रहे हैं।
गूगल की मदद से तैयार किया एलईआरएस पोर्टल
काशीपुर। साइबर अपराध रोकने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने एलईआरएस पोर्टल तैयार किया है। छह महीने पूर्व राज्य में साइबर स्टेशनों से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को इसकी ट्रेनिंग दी जा चुकी है। प्राय: लोग गूगल से मिलती-जुलती साइडों पर अपनी तमाम गोपनीय जानकारी उपलब्ध करा देते हैं। यह जानकारियां साइबर अपराधियों तक पहुंच जाती है। इस स्थिति में अब गूगल के एलआईआरएस पोर्टल के माध्यम से साइबर पुलिस अपराधियों पर शिकंजा कस सकेगी। साइबर अपराध की शिकायत उत्तराखंड पुलिस के हेल्प लाइन नंबर 1930 पर की जा सकती है। इससे पुलिस के नंबर 112 से भी कनेक्ट कर दिया गयाहै। इन नंबरों पर शिकायत दर्ज कराने पर साइबर सेल जांच शुरू कर देगी। इससे बचने का उपयुक्त तरीका सतर्क और जागरूक रहना है। – अजय कुमार सिंह, एसएसपी एसटीएफ।

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