Friday, November 22, 2024
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पोषाहार योजना के लाभार्थियों पर साइबर ठगों का जाल, ऐसे हो रही ठगी

साइबर ठग आम इंसान से लेकर सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारी ही नहीं छोटी-छोटी योजनाओं के लाभाथियों को झांसे में लेने का प्रयास कर रहे हैं। इन दिनों महिला एवं बाल विकास विभाग से जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और लाभार्थियों को फंसाने का प्रयास किया जा चुका है। आए दिन लाभार्थियों से विभागीय जानकारी के नाम पर उनके खातों की डिटेल जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। कई लाभार्थियों ने इस संबंध में अधिकारियों से शिकायत की है। बाल विकास परियोजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों से 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं को पोषण आहार दिया जाता है। साइबर ठग योजना के तहत धनराशि देने के लिए कॉल कर उनके बैंक खाते व पेन कार्ड का ब्योरा मांग रहे हैं। लाभार्थियों के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी इस प्रकार की कॉल आ रही हैं। इससे उनके साथ ठगी की आशंका बनी हुई है। मामला संज्ञान में आने पर अधिकारियों ने सभी से इस तरह की कॉल आने पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की बात कही है।
कहां से पहुंच रहा डाटा
साइबर क्राइम का सबसे बड़ा और मजबूत हथियार डाटा होता है। इस मामले में बड़ा सवाल यह है कि साइबर ठगों तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और लाभार्थियों का डाटा कहां से पहुंच रहा है। बताया जा रहा है कि सरकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए विभिन्न विभागों की ओर से कर्मचारियों के मोबाइल नंबर के साथ नाम पता ऑनलाइन किया गया है। इनमें पोषाहार, किसान पेंशन, स्वास्थ्य विभाग, आशा-आंगनबाड़ी कार्यकत्री सहित अन्य विभागों से संबंधित लाभार्थी भी शामिल हैं। माना जा रहा है कि ठग ऑनलाइन ही डाटा जुटा रहे हैं।
अपना डाटा शेयर न करें
सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक व साइबर एक्सपर्ट पीसी पंत के अनुसार, इस दौर में इंटरनेट पर सर्च कर कोई भी जानकारी आसानी से हासिल की जा सकती है। सरकारी अधिकारी या लाभार्थी की जानकारी यदि लीक हो तो मामला गंभीर हो जाता है। साइबर क्रिमनल्स सरकारी पोर्टलों से लाभार्थी की जानकारी और डाटा प्राप्त कर सकते हैं। ठग डाटा जुटाकर स्वयं को विभागीय अधिकारी या बैंक कर्मचारी बताकर लोगों को फोन कर उनसे ठगी करते हैं। वह योजनाओं से संबंधित फोन कॉल में कभी अपने बैंक की डिटेल न साझा करें। कुछ लोगों ने जानकारी दी है कि उन्हें फोन कर बैंक और पेन कार्ड संबंधी जानकारी मांगी जा रही है। सभी लाभार्थियों से कहा गया है कि अगर किसी को भी ऐसी कॉल आए तो सीधे एफआईआर दर्ज करवाएं। – शिल्पा जोशी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, हल्द्वानी ग्रामीण

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