देश के किसानों को आर्थिक मजबूत बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। कुमाऊं में भी किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जा रहा है। अल्मोड़ा हाईवे स्थित राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीपीजीआर) में उन्नत बीजों व फलों के संरक्षण से यह काम किया जा रहा है। अब एनबीपीजीआर रेड व यलो कीवी की उन्नत खेती से कुमाऊं के किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा।
अब तक न्यूजीलैंड, चिली व अन्य देशों में रेड व यलो कीवी की खेती होती थी। अब एनबीपीजीआर यूएसए से कीवी की नई प्रजातियां मंगा रहा है। एक साल बाद कीवी की नई प्रजातियों के पौधे कुमाऊं के किसानों को मिल जाएंगे। इसको लेकर ब्यूरो तैयारियों में जुटा है। वैज्ञानिक केएम रॉय ने बताया कि एनबीपीजीआर जैव विविधता, भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए नई क़िस्मों को विदेशों से लाकर किसानों तक पहुंचाता है। कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्र कीवी की खेती के लिए उपयुक्त हैं। रेड, यलो कीवी के पौधे आने के बाद किसानों को इसकी तकनीक के बारे में बताया जाएगा। उन्होंने बताया कि कीवी का पौधा 3 साल में फल देने लगता है और लगभग 50 सालों तक फल देता है। इसमें 5 से 8 मादा पौधों के साथ एक नर पौधा लगाना जरूरी होता है। जल्द कुमाऊं के किसान रेड, यलो कीवी की खेती कर सकेंगे। एनबीपीजीआर उत्तम किस्म के कीवी के पौधे यूएसए से आयात कर रहा है। यह कीवी इंग्लैंड, चिली एवं यूरोपीय आदि देशों में उगाई जाती थी। अब कुमाऊं के किसान इन कीवी का उत्पादन कर आर्थिक रूप से मजबूत बन सकेंगे। -केएम रॉय, वैज्ञानिक एनबीपीजीआर
कुमाऊं के किसान उगा सकेंगे कीवी की नई प्रजातियां
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