बरेली के सिरौली निवासी मो. तारिक का साढ़े तीन वर्षीय बेटा शावान रजा जन्म से हीमोफीलिया बीमारी से पीड़ित था। उसका इलाज कराने में तारिक पूरी तरह टूट चुका था। मो. तारिक ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि उसके पास पैतृक संपति के नाम पर ग्राम ढ़किया थाना बहेड़ी बरेली (यूपी) में एक बीघा कृषि भूमि एवं उसका अपना एक ट्रक है, लेकिन शावान के इलाज कराने में उसकी कुछ जमीन बिक गई एवं उसके ट्रक की किस्तें भी टूट गई थीं। एक तरफ शावान के इलाज में लगातार पैसा खर्च हो रहा था। दूसरी तरफ ट्रक की बाइस हजार रुपये मासिक की चार किस्तें टूटने के कारण उसके ऊपर कर्जा बढ़ता जा रहा था। शावान की बीमारी के चलते उसने अपनी पत्नी आयशा बी के लाखों रुपये के जेवर भी बेच दिए थे, लेकिन शावान की बीमारी ठीक नहीं हो रही थी। जिसके कारण मो. तारिक परेशान रहता था। उसकी पत्नी आयशा बी जब तारिक से उसकी परेशानी का कारण पूछती तो वह अपनी पत्नी आयशा बी से अफसोस जाहिर करते हुए कहता था कि उसके ऊपर लगातार कर्जा हो रहा है। जिसे वह चुकाने में असमर्थ है। शावान का इलाज हल्द्वानी में एक चिकित्सक के पास चल रहा था। तारिक के ऊपर शावान के उपचार का दबाव बढ़ता जा रहा था। चिकित्सक ने शावान के कुछ टेस्ट लिखे थे और उसे दिल्ली जाकर उपचार कराने के लिए कहा था। जिनके लिए बहुत पैसों की आवश्यकता थी, तारिक आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। मो. तारिक ने तंगी के चलते अपने पुत्र शावान को ही मारने की योजना बना डाली। वह योजनाबद्ध तरीके से शावान को बाइक पर बैठाकर अपने पुश्तैनी गांव ढकिया ले गया। वहां उसने अपने खेत के निकट बह रही नहर में शावान की डुबोकर हत्या कर दी।
साढ़े तीन साल के मासूम को पिता ने अपने हाथों नहर में डुबोकर मार डाला, जन्म से ही इस बीमारी से पीड़ित था बच्चा
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