उत्तराखंड से सिक्किम तक भारत से लगी नेपाल सीमा पर मिशन ‘आबादÓ तेजी से परवान चढ़ा है। इसी के तहत बांग्लादेश व भारत के प्रमुख नगरों से होते हुए रोहिंग्या करीब 1391 किलोमीटर की यात्रा कर काठमांडू तक पहुंच गए। अब भारत से सटे क्षेत्रों में ये स्थानीय लोगों के साथ इस कदर घुल-मिल गए हैं कि पहचानना मुश्किल है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार इन्हें इस्लामी संघ नेपाल (आइएसएन) सीधे तौर पर मदद कर रहा है। मुस्लिम वल्र्ड लीग (एमडब्ल्यूएल) व द आर्गेनाइजेशन वल्र्ड असेंबली आफ मुस्लिम यूथ (डब्ल्यूएसएएमवाइ) परोक्ष रूप से सहयोग में जुटा है। भविष्य में इसका असर बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड पर भी सीधे तौर पर पड़ेगा। सीमा के करीब बांग्लादेशियों को भी सुनियोजित तरीके से बसाना इसी मिशन की अहम कड़ी है।
मधेश के 22 जिलों में टकराव की स्थिति
सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से बदले हालात के बीच नेपाल के हिंदू राष्ट्र की पुनर्बहाली की मांग शुरू हो गई है। मधेश के 22 जिलों में तमाम संगठन इसके लिए सक्रिय भी हो गए हैं। नेपाली प्रधानमंत्री देउबा ने खुद पिछला आम चुनाव हिंदू राष्ट्र की पुनर्बहाली के मुद्दे पर ही लड़ा था। अब भारत से कूटनीति को देवनीति में बदलने के साथ ही काशी विश्वनाथ से पशुपतिनाथ तक के नारे लगाए जा रहे हैं।
विशेष गलियारे का पहला चरण पूरा
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार शरणार्थियों के नाम पर नेपाल से लगते बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड तक समुदाय विशेष के लिए गलियारा तैयार कर लिया गया है। दूसरा चरण हरियाणा व पंजाब होते हुए इसे पाकिस्तान से जोडऩे की है। हाल ही में पंजाब के फरीदकोट जिले में तीन मस्जिदों का निर्माण भी इसी कड़ी का हिस्सा बताया जा रहा है।
ये है मिशन ‘आबाद’
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार आइएसएन, एमडब्ल्यूएल व डब्ल्यूएसएएमवाइ भारत-नेपाल सीमा पर समुदाय विशेष को सुनियोजित तरीके से बसा रही हैं। इस अभियान को इन्होंने मिशन आबाद नाम दिया है। इसके लिए बकायदा फंडिंग की जा रही है। नेपाल में ही स्थाई निवास प्रमाण पत्र के साथ भवन का भी निर्माण कराया जा रहा है। नौकरी के साथ ही रोजगार के अवसर भी दिए जा रहे हैं। धर्म विशेष से जुड़ी प्रचार सामग्री भी मुहैया कराई जा रही है। हाल के दिनों में भारतीय सीमा से सटे नेपाली क्षेत्रों में ऐसे लोगों ने अकूत संपत्ति अर्जित की है जिनके आय का ठोस माध्यम ही नहीं है। मेजर (सेनि.) बीएस रौतेला नेे बताया कि पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी आइएसआइ लंबे समय से भारत-नेपाल सीमा पर लश्कर और जैश जैसे आतंकी गुटों के बेस बनाने की साजिश में लगी हुई है। ऐसे में रोहिंग्या व बंग्लादेशियों को फंड मुहैया करवा कर भारत-नेपाल सीमा पर बसाने के पीछे एक बड़ी साजिश हो सकती है।
सिक्किम से लेकर उत्तराखंड तक समुदाय विशेष को बसाने के लिए चलाया जा रहा मिशन “आबाद”
RELATED ARTICLES