उत्तराखंड विधानसभा से पारित हुए कुल 14 विधेयकों में से नौ विधेयकों पर राजभवन में मंथन जारी है। इनमें चर्चित महिला आरक्षण बिल भी शामिल है। राजभवन के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल इस विधेयक को लेकर संवेदनशील हैं और वे नहीं चाहते कि विधेयक के कानून बनने के बाद इसमें कोई वैधानिक बाध्यता आए, इसलिए विधेयक का गहराई से परीक्षण किया जा रहा है। राजभवन ने अब तक चार विधेयकों को मंजूरी दी है और एक विधेयक राष्ट्रपति को भेजा गया है। इस तरह की चर्चाएं थीं कि राजभवन ने महिला क्षैतिज आरक्षण विधेयक लौटा दिया है, लेकिन मंगलवार को राजभवन के आधिकारिक सूत्रों ने इसका खंडन किया। कहा, इस पर मंथन जारी है। अपर सचिव विधायी महेश कौशिबा ने भी कहा कि राजभवन से विधायी को विधेयक प्राप्त नहीं हुआ है।
बिल को लेकर सरकार बेहद गंभीर
राज्य सरकार सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण बिल को लेकर बेहद गंभीर है। हाईकोर्ट में आरक्षण बिल के शासनादेशों पर रोक लगने के बाद सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है।
विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित कराया
राज्य सरकार ने 30 नवंबर को शीतकालीन सत्र के दौरान सर्वसम्मति से विधेयक पारित कराया था। इसके बाद इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए अन्य विधेयकों के साथ राजभवन भेज दिया गया था।
संदेश के साथ लौटाते हैं राज्यपाल विधेयक
राजभवन के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि राजभवन से जब कोई विधेयक लौटता है, तो उसमें राज्यपाल का एक संदेश भी होता है। महिला क्षैतिज आरक्षण समेत अन्य विधेयकों का राजभवन में परीक्षण हो रहा है।
राजभवन में चल रहा मंथन, 14 में से चार विधेयकों को मिल चुकी राज्यपाल की मंजूरी
RELATED ARTICLES