अगर आपके पास अपने निवास का प्रमाण नहीं है तो कोई बात नहीं! एसडीएम और तहसीलदार की जांच के बाद निर्वाचन आयोग मतदाता पहचान पत्र जारी कर देगा। आयोग नौ नवंबर से नए मतदाता बनाने, नाम जोड़ने, हटाने, पता बदलने का विशेष अभियान शुरू करने जा रहा है। संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तराखंड प्रताप शाह ने बताया कि आवेदक की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर एसडीएम (इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर) और तहसीलदार (एईआरओ) इसकी जांच करेंगे। बीएलओ, आवेदक के दावों की पड़ताल के बाद रिपोर्ट भेजेगा। इस आधार पर मतदाता पहचान पत्र जारी कर दिया जाएगा। निवास प्रमाण के लिए पानी, बिजली या गैस कनेक्शन के कागज, आधार कार्ड, पासबुक, पासपोर्ट, जमीन की किसान बही, रेंट लीज डीड, रजिस्टर्ड सेल डीड आदि दे सकते हैं। जन्मतिथि के लिए जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, 10वीं, 12वीं के प्रमाण पत्र दे सकते हैं।
फॉर्म 8-क हुआ खत्म
निर्वाचन आयोग ने एक ही विधानसभा में पता परिवर्तन के लिए भरा जाने वाला फॉर्म 8-क भी बंद कर दिया है। अब सभी प्रक्रिया फॉर्म-8 से पूरी होगी। नए मतदाता के लिए फॉर्म-6, एनआरआई के लिए फॉर्म 6-ए, नाम काटने या कटवाने के लिए फॉर्म-7, मतदाता सूची में कोई संशोधन, पता परिवर्तन, दिव्यांग, खराब होने पर नया वोटर कार्ड देने के लिए फॉर्म-8 होगा।
नए मतदाता परिवार संग डालेंगे वोट
निर्वाचन आयोग ने एक नया बदलाव यह किया है कि नए मतदाताओं के आवेदन में उनके परिजनों के वोटर कार्ड नंबर लिए जाएंगे। उसी नंबर के साथ नए मतदाता को जोड़ा जाएगा, ताकि मतदान के दिन पूरा परिवार एक ही जगह वोट डाले।
दिव्यांगों को भी मौका, आधार जरूरी नहीं
मतदाता बनने के लिए दिव्यांगों को अलग से एंट्री का मौका दिया जा रहा है। इससे निर्वाचन आयोग को चुनाव में दिव्यांगों के लिए सुविधाएं देने में आसानी होगी। वहीं, आधार जरूरी तो नहीं है, लेकिन निर्वाचन विभाग ज्यादा से ज्यादा लोगों को आधार नंबर देने के प्रति प्रोत्साहित कर रहा है।आयोग लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुट गया है। उत्तराखंड राज्य निर्वाचन विभाग मुख्य निर्वाचन आयुक्त सी रविशंकर की अगुवाई में विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान शुरू कर रहा है। इससे पहले आयोग ने मतदाताओं से संबंधित आवेदन पत्र और प्रक्रिया में कई बड़े बदलाव किए हैं। अब तक आवेदक के पास निवास का प्रमाण नहीं होता था तो उसे पार्षद से पत्र, शपथ पत्र, घोषणा पत्र आदि कागजी औपचारिकता पूरी करनी पड़ती थी।
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