पंतनगर। जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय में कुमाऊं के बागबान समूह के अनुरोध व राष्टीय बागवानी बोर्ड के वित्तीय सहयोग से आमों की तकनीकी जागरूकता पर राष्टीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें आम की लगभग दो सौ प्रजातियों के प्रदर्शन सहित देश के विभिन्न संस्थानों के प्रख्यात वैज्ञानिकों, आम उत्पादकों, बागबानों व किसानों ने भी प्रतिभाग किया। आम की इतनी प्रजातियां देखकर हर किसी को लगा कि यह ‘आम’ नहीं ‘खास’ है जनाब।आईसीएआर की अखिल भारतीय समन्वित शोध फल परियोजना व राष्ट्रीय उपोष्ण बागवानी के सहयोग से कृषि महाविद्यालय सभागार में शुक्रवार को आयोजित इस प्रदर्शनी/संगोष्ठी में उद्यान अनुसंधान केंद्र पर उत्पादित प्रजातियों सहित बागबानों की लगभग 200 प्रजातियां का प्रदर्शन किया गया।
उद्घाटन सत्र में विवि कुलपति डॉ. एके शुक्ला ने आम उत्पादन के साथ उसके विपणन पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया।
आम के विख्यात वैज्ञानिक व केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ के पूर्व निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन ने आम की नई प्रजातियों व उनके गुणों को बताया। राष्टीय बागबानी बोर्ड के उप निदेशक डॉ. एके तोमर ने बागबानों को दी जाने वाली योजनाओं की जानकारी दी। वहीं किसानों ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए उनकी उपेक्षा का आरोप लगाया।वहां डीन डॉ. एसके कश्यप, निदेशक शोध डॉ. एएस नैन, उद्यान विभागाध्यक्ष डॉ. बीसी डिमरी, उद्यान अनुसंधान केंद्र पत्थरचट्टा के जेडी डॉ. एके सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। तकनीकी सत्र में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के दो प्रसिद्ध वैज्ञानिकों डॉ. पीके शुक्ला ‘पादप रोग‘ व डॉ. एचएस सिंह ‘कीट रोग’ ने पौधों की कीट व्याधियों से सुरक्षा संबंधी जानकारी दी।इस दौरान एक सोवीनियर ‘बागवानी में पादप नियामकों का प्रयोग’ व दो फोल्डरों ‘पुराने आम के बागों का जीर्णोद्धार’ व ‘आम की सघन बागवानी’ का विमोचन भी किया गया। संगोष्ठी में देश के विभिन्न संस्थानों से आए प्रख्यात वैज्ञानिकों सहित निदेशकों, अधिष्ठाताओं, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों, 192 बागवानों-किसानों व 170 लोगों ने प्रतिभाग किया।