भीमताल (नैनीताल)। जैविक खेती से किसानों की आय वृद्धि करने और उन्हें जैविक खेती के लिए प्रेरित करने के लिए उद्यान विभाग की ओर से किसानों को राजकीय जैविक प्रशिक्षण केंद्र मजखाली, रानीखेत (अल्मोड़ा) का भ्रमण कराया गया। किसानों को जैविक खेती के लाभ, इसके तौरतरीकों की जानकारी भी दी गई। किसानों को पंचगव्य, तरल खाद, जीवामृत, केंचुए की खाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया।
परंपरागत कृषि योजना के तहत उद्यान विभाग रामगढ़ की ओर से जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए किसानों को राजकीय जैविक प्रशिक्षण केंद्र मजखाली रानीखेत (अल्मोड़ा) का शैक्षणिक भ्रमण कराकर जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया। जैविक संस्थान के प्रो. मनोहर अधिकारी ने किसानों को जैविक खेती से होने वाले लाभों की जानकारी दी। सरकार की ओर से परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत सभी किसानों को केंचुए की खाद (वर्मी कंपोस्ट) वेस्ट डी कंपोजर, ट्राइकोडर्मा आदि से भूमि की उर्वरा शक्ति के बढ़ने, लागत कम होने और किसी भी प्रकार का दुष्परिणाम नहीं होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्था की ओर से समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि किसानों को गांवों में जहरीले रसायन खाद से मुक्त करने के लिए प्रेरित किया जा सके। सुविधा संस्था के डॉ. मनोज धौलाखंडी और ब्लॉक समन्वयक हरीश बिष्ट ने कार्यक्रम में विशेष सहयोग दिया। इस दौरान त्रिलोचन, कुंदन सिंह, नंदन, विमला देवी, शांति बिष्ट आदि किसान मौजूद रहे।