Wednesday, December 24, 2025
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Health Alert: कोविड के बाद लॉन्ग कोविड की वजह सिर्फ कोरोना नहीं, छुपे संक्रमण भी बन रहे परेशानी का कारण—रिसर्च

नई दिल्ली। कोविड-19 से ठीक होने के बाद भी बड़ी संख्या में लोग लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। लगातार थकान, सांस फूलना, दिमागी धुंध, याददाश्त कमजोर होना और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसे लक्षण लॉन्ग कोविड के रूप में सामने आ रहे हैं। अब एक नए वैज्ञानिक शोध में खुलासा हुआ है कि इन समस्याओं के पीछे सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं, बल्कि शरीर में पहले से मौजूद छुपे संक्रमण भी अहम भूमिका निभा सकते हैं।

माइक्रोबायोलॉजी के 17 वरिष्ठ वैज्ञानिकों के एक समूह का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इससे पहले से निष्क्रिय अवस्था में मौजूद कई वायरस और बैक्टीरिया दोबारा सक्रिय हो सकते हैं, जो लॉन्ग कोविड जैसे लक्षणों को जन्म देते हैं। यह शोध प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल eLife में प्रकाशित हुआ है।

दुनिया भर में 40 करोड़ लोग प्रभावित

शोध के मुताबिक, दुनिया भर में अब तक लगभग 40 करोड़ लोग लॉन्ग कोविड से प्रभावित हो चुके हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बीमारी को अब सिर्फ एक वायरल समस्या मानना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे प्रतिरक्षा तंत्र से जुड़ी जटिल बीमारी के रूप में समझने की जरूरत है।

एपस्टीन-बार वायरस से गहरा संबंध

शोध में सबसे मजबूत संकेत एपस्टीन-बार वायरस (EBV) को लेकर सामने आए हैं। यह वायरस मोनोन्यूक्लियोसिस जैसी बीमारी का कारण बनता है और दुनिया के करीब 95 प्रतिशत वयस्कों के शरीर में निष्क्रिय अवस्था में मौजूद रहता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, कोविड-19 के दौरान या उसके बाद इम्यून सिस्टम कमजोर होने से EBV दोबारा सक्रिय हो सकता है।

शुरुआती अध्ययनों में पाया गया कि लगभग दो-तिहाई लॉन्ग कोविड मरीजों में हाल ही में EBV के सक्रिय होने के प्रमाण मिले। बाद की रिसर्च में इसे अत्यधिक थकान, ब्रेन फॉग और सोचने-समझने की क्षमता में कमी जैसे लक्षणों से जोड़ा गया।

तपेदिक और कोविड का दोतरफा खतरा

लॉन्ग कोविड से जुड़ा एक और अहम पहलू तपेदिक (टीबी) को लेकर सामने आया है। अनुमान है कि दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी के शरीर में टीबी का संक्रमण छुपी अवस्था में मौजूद है। सामान्य परिस्थितियों में प्रतिरक्षा तंत्र इसे नियंत्रित रखता है, लेकिन कोविड-19 इस संतुलन को बिगाड़ सकता है।

कुछ अध्ययनों के अनुसार, कोविड उन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को कम कर देता है जो टीबी को दबाए रखती हैं, जिससे संक्रमण दोबारा सक्रिय हो सकता है। वहीं, टीबी से पीड़ित मरीजों में कोविड अधिक गंभीर होने का खतरा भी पाया गया है। इस तरह कोविड और टीबी का संबंध दोतरफा माना जा रहा है।

‘इम्युनिटी चोरी’ का सिद्धांत

वैज्ञानिकों ने इस पूरी प्रक्रिया को समझाने के लिए ‘इम्युनिटी चोरी’ की अवधारणा पेश की है। इसका मतलब है कि कोविड-19 के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी कमजोर हो जाती है कि वह अन्य संक्रमणों के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाती।

इस सिद्धांत को वैश्विक आंकड़ों से भी समर्थन मिलता है। महामारी के बाद 44 देशों में कई संक्रामक बीमारियों के मामलों में महामारी से पहले की तुलना में दस गुना तक वृद्धि दर्ज की गई है।

इलाज की उम्मीद, लेकिन सावधानी जरूरी

वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि आगे के शोध यह साबित कर देते हैं कि लॉन्ग कोविड में अन्य संक्रमणों की भूमिका निर्णायक है, तो इलाज के नए विकल्प सामने आ सकते हैं। पहले से उपलब्ध एंटीवायरल और एंटीबायोटिक दवाओं को संभावित समाधान के रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि शोधकर्ता यह भी स्पष्ट करते हैं कि अभी तक किसी एक संक्रमण को सीधे तौर पर लॉन्ग कोविड का कारण नहीं माना जा सकता। कारण और संबंध के बीच का अंतर पूरी तरह समझना अभी बाकी है। इसके बावजूद, यह शोध लॉन्ग कोविड को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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