टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण का जिक्र चुनावी बजट में नहीं होने से मार्ग निर्माण संघर्ष समिति आहत है। उन्होंने कहा कि सरकार झूठे वायदे कर लोगों से वोट तो बटोर लेती है, लेकिन उनकी समस्याओं को दूर करने की बात तक नहीं करती। टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन की मांग ब्रिटीशकालीन है। नौ बार सर्वे होने के बाद भी इस पर आज तक बजट स्वीकृत नहीं हुआ है। हर पार्टी चुनाव से पहले इसे चुनावी मुद्दा बनाती है, लेकिन सत्ता में काबिज होते ही भूल जाती है। इस मार्ग के लिए नौ बार सर्वे हो गया है।
मंगलवार को चुनावी बजट पेश हुआ। रीतारमण जीतनी देर तक बजट पर चर्चा करती रही उतनी देर तक टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग संघर्ष समिती से जुड़े लोग टीवी के आगे बैठे रहे। उन्हें हर पल उम्मीद थी कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस योजना पर सरकार बजट स्वीकृत करेगी, लेकिन मार्ग को लेकर चर्चा तक नहीं हुई। इससे समिति काफी आहत है। उनका कहना है कि रेल मार्ग के लिए उन्होंने बागेश्वर से लेकरि ददिल्ली के जंतर-मंतर तक कई बाद अनशन कर दिया है।
ममता बजर्नी से लेकर सभी रेल मंत्रियों ने मार्ग बनाने का आश्वासन तक दिया, लेकिन किसी ने आज तक इस पर बजट स्वीकृत का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है। पिछली कांग्रेस सरकार ने इस मांग को राष्ट्रीय प्रोजक्ट में शामिल करने की बात की थी, लेकिन उससे आगे आज तक यह नहीं बढ़ पाई है। संघर्ष समिति जब तक रेल बागेश्वर नहीं आ जाती अपना संघर्ष जारी रखेगी। रेल आने से ही क्षेत्र का विकास होगा।
नीमा दफौटी, अध्यक्ष रेल मार्ग निर्माण समिति बागेश्वर
टनकुपर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण की मांग ब्रिटीशकालीन है। अब तक नौ बार सर्वे हो गया है, लेकिन किसी भी सरकार ने बजट स्वीकृत कर निर्माण शुरू नहीं किया है। समिति मार्ग आने तक आंदोलन जारी रखेगी।
शिव सिंह बिष्ट, अध्यक्ष भाजपा।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को जो बजट पेश किया है। उसमें हर वर्ग के लोगों का ध्यान रखा गया है। युवाओं को रोजगार देने की बात है। संचार सुविधा बढ़ाने और डिजिटल भारत की बात को महत्व दिया है। इसका लाभ सभी को मिलेगा।