उत्तराखंड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के कारण हुई सुअरों की मौत के मामले में प्रभावितों को सरकार की ओर से मुआवजा देने की तैयारी है। केंद्र सरकार ने प्रति सुअर मुआवजा देने के लिए धनराशि का भी निर्धारण किया है। उत्तराखंड के पौड़ी, देहरादून, नैनीताल जिले में स्वाइन फीवर फैला, जिसकी चपेट में आने से अब तक 715 सूअर की मौत हो चुकी है। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 53 सूअरों को मारा गया। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक पशुधन बीमा योजना के तहत सुअरों का भी बीमा करने की व्यवस्था है। हालांकि अधिकांश सुअर पालक बीमा नहीं कराते हैं। स्वाइन फीवर सुअरों में ही फैलती है। इस बीमारी की चपेट में आने वाले सुअर का इलाज भी संभव नहीं है। बीमारी की रोकथाम के लिए प्रभावित क्षेत्रों में कई जीवित सुअरों को मारा गया।
केंद्र सरकार ने स्वाइन फीवर के कारण प्रभावित क्षेत्रों में मारे गए सुअरों का मुआवजा तय किया है। प्रदेश सरकार भी केंद्र की गाइड लाइन के आधार पर प्रभावित सुअर पालकों को मुआवजा राशि देगी। इसके लिए मुख्य पशुचिकित्साधिकारी के माध्यम से मारे गए सुअरों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा का कहना है कि स्वाइन फीवर से सुअरों की मौत से गरीब तबके के लोगों को आर्थिक नुकसान हुआ है। विभाग बीमारी से हुई मौत पर सुअर पालकों को आर्थिक मदद देने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है। स्वाइन फीवर की रोकथाम के लिए जिन जीवित सुअरों को मारा गया है, उन्हें केंद्र के दिशा निर्देशों के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा।
केंद्र की ओर से तय मुआवजा राशि
सुअर का वजन मुआवजा राशि
15 किलो. तक 2200
15 से 40 किलो 5800
40 से 70 किलो 8400
70 से 100 किलो 12000
उत्तराखंड में सुअरों की मौत पर प्रभावितों को आर्थिक मदद देने की तैयारी
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