यदि आप भी अपने वाहन का बीमा कराते हैं, तो पॉलिसी लेने से पहले शर्तें अच्छे से पढ़ लें। वरना क्लेम के लिए भटकना पड़ सकता है। उपभोक्ता आयोग में सबसे ज्यादा शिकायतें वाहन बीमा से संबंधित ही दर्ज हो रही हैं। उपभोक्ता आयोग के कर्मचारी शोभाराम ने बताया आयोग में हर महीने करीब 40- 50 शिकायतों पर सुनवाई होती है, जिसमें करीब 40 फीसदी वाद वाहन बीमा से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि अक्तूबर में आयोग ने करीब 15-18 वादों पर फैसला सुनाया, जिसमें से करीब 8-9 वाहन बीमा से जुड़े हैं। अनुमान लगाया जाए तो आयोग में आने वाली हर दूसरी शिकायत वाहन बीमा से संबंधित है।
केस-1: दुर्घटना में मौत पर क्लेम देने से किया इनकार
एक मामले में शिकायतकर्ता के पुत्र की वाहन चलाते हुए मृत्यु हो गई थी। जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को दोषी ठहराते हुए क्लेम की राशि करीब 14 लाख रुपये पीड़ित को देने के आदेश दिए थे। जबकि बीमा कंपनी ने केवल एक लाख रुपये खाते में जमा किए थे। शिकायतकर्ता साहब सिंह निवासी लक्सर ने केस दर्ज कराया था।
केस-2: कंपनी के सर्वेयर ने बीस प्रतिशत की राशि मांगी
सुखदेव नगर रुड़की निवासी शिकायतकर्ता प्रतीक चौधरी का वाहन देहरादून से आते हुए सड़क पर ट्रक को बचाने के लिए पहाड़ी से टकरा कर गिर गया था। आरोप था कि कंपनी के सर्वेयर ने 20 प्रतिशत राशि की मांग की। शिकायतकर्ता के इंकार करने के बाद बीमा कंपनी ने क्लेम रोक दिया था। आयोग ने कंपनी को वाहन की रकम देने के आदेश दिए।
केस-3: कंपनी ने नहीं दिया वाहन चोरी पर क्लेम
एक मामले में बीमा कंपनी ने यह कहकर क्लेम रोक दिया कि वाहन चोरी की सूचना देरी से दी गई। त्रिलोक सिंह निवासी लक्सर रोड का वाहन वर्ष 2018 में लक्सर बाजार से चोरी हो गया था, लेकिन कंपनी ने क्लेम रोक दिया। आयोग ने पाया कि वाहन के स्वामी ने चोरी की सूचना सही समय पर नहीं दी थी। कंपनी को सेवा का दोषी पाकर क्लेम देने के आदेश दिए।
विशेषज्ञ की राय:
बीमा क्षेत्र के अधिवक्ता कुलवंत सिंह चौहान ने बताया कि बीमा कंपनियों की मनमानी से बचने के लिए आम लोगों को सजग होना होगा। उन्होंने बताया कि किसी भी बीमा कंपनी से पॉलिसी लेते समय पूरी शर्तों को अच्छी तरह से पढ़ लें। कंपनी के टोल फ्री नंबर के साथ संबंधित अफसरों के फोन नंबर, कंपनी का पता आदि की भी जानकारी रखें। अधिवक्ता एसके भामा ने बताया कि कई बार पॉलिसी का क्लेम लेने में उपभोक्ता देर करते हैं। लोगों को सभी दस्तावेजों को संभाल कर रखना चाहिए। इसके अलावा पुरानी गाड़ी खरीदने पर 14 दिन के अंदर बीमा कंपनी को इसकी लिखित सूचना देनी चाहिए।
वाहन बीमा खरीदते समय कर लें यह काम, वरना नहीं मिलेगा कोई इंश्योरेंस क्लेम
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