चंपावत। क्वैराला पंपिंग योजना से पेयजल आपूर्ति 20 जून से शुरू होनी थी लेकिन टेस्टिंग रिपोर्ट में पानी पीने के योग्य नहीं पाया गया है। इस कारण योजना का पानी पाइप लाइन से नहीं बांटा गया। जल संस्थान अब फिर जुलाई के पहले सप्ताह में पानी की शुद्धता की जांच करेगा। जांच रिपोर्ट पर पानी की आपूर्ति निर्भर करेगी।
नगर के लिए चंपावत पुनर्गठन पेयजल योजना (क्वैराला पंपिंग योजना) का काम कांग्रेस सरकार में अगस्त 2016 में शुरू हुआ था। योजना का काम इस साल मार्च में पूरा हो गया। करीब 30.88 करोड़ रुपये की इस योजना से 30 वर्षों तक 29 हजार लोगों की प्यास बुझेगी। 17 किमी लंबी पेयजल लाइन वाली इस योजना का 20 अप्रैल से ट्रायल शुरू हुआ। ट्रायल में पेयजल लाइन के लीकेज, अन्य गड़बड़िया, पंप की जांच, लाइन के दबाव की क्षमता, टैंकों तक पानी पहुंचने, गंदे पानी को साफ करने सहित कई बिंदुओं की जांच की गई। निगम के ईई वीके पाल का कहना है कि ट्रायल सफल रहा लेकिन अभी पानी के निर्धारित मानक में खरा न उतरने से आपूर्ति नहीं की जा रही है। योजना के पानी की आपूर्ति से पूर्व जल संस्थान ने पानी की टेस्टिंग की। टेस्टिंग में पानी पीने लायक नहीं पाया गया। इसलिए योजना के पानी की अभी आपूर्ति करना मुमकिन नहीं है। दस दिन बाद फिर से दोबारा पानी का टैंकों से नमूने लेकर परीक्षण कराया जाएगा। मानकों में खरा उतरने के बाद पेयजल आपूर्ति की जाएगी। जल संस्थान पुरानी लाइनों से ही पेयजल वितरण करेगी। – बिलाल यूनुस, ईई, जल संस्थान, चंपावत।
23.60 लाख लीटर के सापेक्ष दस लाख लीटर मिल रहा पानी
चंपावत। यहां शहरी क्षेत्र की 16 हजार की आबादी को इस साल 13 अप्रैल से 21 जून तक पानी नहीं मिल रहा है। नलों से मिलने वाले पानी की आपूर्ति एक दिन छोड़कर हो रही है। जल संस्थान के ईई बिलाल यूनुस का कहना है कि चंपावत में रोजाना 23.60 लाख लीटर पेयजल की जरूरत है, लेकिन अभी नौ लाख लीटर से भी कम पानी मिल रहा है। अपर सहायक अभियंता परमानंद पुनेठा का कहना है कि 11 में से रौखेत, च्यूराखर्क, ललुवापानी, सिमाल के चार जल स्रोतों में 30 प्रतिशत की कमी आई है। इससे भी पानी की उपलब्धता घट रही है।
क्वैराला पंपिंग योजना के पानी को करना होगा और इंतजार
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