Friday, November 1, 2024
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राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी क्षेत्र में बढ़ने लगा बड़ा बाघों का कुनबा, अधिकारी उत्साहित

राजाजी टाइगर रिजर्व में चीला-मोतीचूर कॉरिडोर पर बने फ्लाईओवर ने बाघों के लिए पश्चिमी क्षेत्र का द्वार खोल दिया है। बाघ अब पूर्वी क्षेत्र से पश्चिमी क्षेत्र के उन इलाकों का रुख करने लगे हैं जहां उनकी संख्या बेहद कम है। बाघों की यह गतिविधियां कैमरा ट्रैप में भी कैद हुई हैं। इससे नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) और रिजर्व प्रशासन के अधिकारी उत्साहित हैं।राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला के मुताबिक, बीचोंबीच से रेलवे ट्रैक और हाईवे गुजरने से हाथी, बाघ और तेंदुआ जैसे वन्यजीव टाइगर रिजर्व के पूर्वी क्षेत्र से पश्चिमी क्षेत्र में नहीं जा पा रहे थे। ऐसे में एनटीसीए, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया और वन विभाग के कई दशकों के प्रयास के बाद चीला-मोतीचूर कॉरिडोर पर फ्लाईओवर का निर्माण किया गया। अब वाहनों की आवाजाही सड़क के बजाय फ्लाईओवर से होने के चलते पूर्वी क्षेत्र के बाघ पश्चिमी क्षेत्र का भी रुख करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में पश्चिमी क्षेत्र में भी बाघों की संख्या तेजी से बढ़ेगी।
पूर्वी क्षेत्र में 40 तो पश्चिमी क्षेत्र में महज तीन बाघ
राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्वी क्षेत्र में बाघों की संख्या 40 के आसपास है तो वहीं पश्चिमी क्षेत्र में महज तीन बाघ हैं। इसमें भी दो को दो साल पहले जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व से लाया गया है। तीन और बाघों को वहां से लाने की कवायद चल रही है।
जिम कार्बेट में प्रति पांच वर्ग किमी क्षेत्र में एक बाघ
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा के मुताबिक बाघ अपने भोजन की जरूरतों के मुताबिक इलाका तय करते हैं। जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व में जहां प्रति पांच वर्ग किमी में औसतन एक बाघ पाया जाता है तो वहीं साइबेरिया जैसे इलाकों में 500 वर्ग किमी में एक बाघ पाया जाता है। क्योंकि, वहां भोजन की उपलब्धता कम होने से बाघों को काफी बडे़ क्षेत्रफल में विचरण करना होता है।

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