Wednesday, November 26, 2025
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राजाजी टाइगर रिजर्व: सात हाथियों की मार्मिक कहानियां… चिल्ला जोन में हाथी सफारी ने जगाई नई उम्मीद

राजाजी टाइगर रिजर्व: सात हाथियों की भावुक कहानियां… चिल्ला जोन में शुरू हुई हाथी सफारी, संरक्षण और सह-अस्तित्व की अनोखी मिसाल

राजाजी टाइगर रिजर्व के चिल्ला पर्यटन जोन में इस वर्ष हाथी सफारी की शुरुआत कर दी गई है। यह पहल सिर्फ पर्यटन का विस्तार नहीं, बल्कि उन सात रेस्क्यू हाथियों की संघर्ष, संवेदना और पुनर्वास की कहानियों को दुनिया के सामने लाने का माध्यम भी है, जिन्हें कभी अनाथ, घायल या मानव–वन्यजीव संघर्ष से बचाकर यहां सुरक्षित आश्रय दिया गया।

चिल्ला हाथी शिविर वर्तमान में इन सात हाथियों का स्थायी घर है। सफारी संचालन की जिम्मेदारी दो प्रमुख हथिनियों—राधा और रंगीली—को दी गई है, जिनकी परिपक्वता व शांत स्वभाव उन्हें इस कार्य के लिए उपयुक्त बनाता है।


राधा: शिविर की मातृशक्ति और सबसे वरिष्ठ हथिनी

दिल्ली जू से लाई गई राधा इस शिविर की सबसे अनुभवी और विश्वसनीय हथिनी है।

  • 18 वर्ष की उम्र में चिल्ला लाए जाने के बाद राधा आज 35 वर्ष की हो चुकी है।

  • रानी, जॉनी, सुल्तान और हाल ही में बचाए गए कमल जैसे अनाथ गज शिशुओं को राधा ने मां जैसी ममता दी है।

  • जंगल की सैर में वह दल के आगे चलकर दिशा देती है, इसी कारण सफारी संचालन में उसका विशेष योगदान है।

राधा को शिविर की मातृशक्ति माना जाता है।


रंगीली: अनुशासन और धैर्य की मिसाल

राधा के साथ ही 2007 में दिल्ली से लाई गई रंगीली समूह का दूसरा प्रमुख स्तंभ है।

  • उसका स्वभाव संयमी और अनुशासित है।

  • शरारती गज शिशुओं को वह स्नेह से सिखाती है और समूह में समानता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • सफारी संचालन में उसे राधा के साथ जोड़ा गया है, और पर्यटक इन्हीं दोनों हथिनियों पर बैठकर जंगल का भ्रमण करते हैं।

राधा और रंगीली की गहरी समझ और मित्रता चिल्ला सफारी की सबसे बड़ी ताकत है।


राजा: मानव–हाथी संघर्ष से निकलकर बना भरोसेमंद साथी

2018 में मानव–हाथी संघर्ष के दौरान पकड़ा गया राजा शुरुआत में बेहद तनावग्रस्त व अस्थिर स्वभाव का था।

  • महीनों की देखभाल, प्रेम और प्रशिक्षण ने उसे शांत और स्थिर बनाया।

  • बरसात के दिनों में जब जंगल के रास्ते जलमग्न हो जाते हैं, राजा ही स्टाफ को लेकर कठिन क्षेत्रों में गश्त कराता है।

  • कई मौकों पर वह जंगली हाथी झुंडों को सही रास्ता भी दिखाता है।

उसकी कहानी पुनर्वास और विश्वास का अनूठा उदाहरण है।


रानी: गंगा से बचाई गई मासूम हथिनी

2014 में गंगा की तेज़ लहरों में बहती तीन महीने की रानी को रेस्क्यू कर चिल्ला लाया गया था।

  • राधा ने उसे अपनी बेटी की तरह पाला।

  • आज रानी तेज, चंचल और आदेशों को तुरंत सीखने वाली युवा हथिनी है।

  • वह मानसून गश्त में सक्रिय योगदान देती है।

उसकी जीवनगाथा संवेदना और संरक्षण के महत्व को दर्शाती है।


जॉनी और सुल्तान: दो अनाथ गज शिशुओं की खूबसूरत दोस्ती

दोनों अलग-अलग परिस्थितियों में अनाथ हुए—

  • जॉनी मोतीचूर रेंज से बचाया गया।

  • सुल्तान पहाड़ी से गिरने के बाद घायल अवस्था में मिला था।

आज वे भाई की तरह साथ रहते, खेलते और कैंप के अन्य हाथियों के लिए जंगल से चारा लाने में सहयोग करते हैं। उनकी मित्रता शिविर में सकारात्मक ऊर्जा भर देती है।


कमल: सबसे छोटा और सबसे प्यारा सदस्य

2022 में रवासन नदी से महज एक महीने की उम्र में बचाया गया कमल शिविर का सबसे छोटा हाथी है।

  • वह राधा की छाया से एक पल भी दूर नहीं रहता।

  • अब वह आदेश पहचानना, खेलना और जंगल की छोटी–छोटी यात्राएं सीख रहा है।

कमल का बचपन शिविर के सभी सदस्यों को उत्साहित करता है।


मानसून में हाथी गश्त: जंगल सुरक्षा की रीढ़

राजाजी टाइगर रिजर्व में मानसून के दौरान कई रास्ते पानी में डूब जाते हैं, जिससे सामान्य वाहनों से गश्त संभव नहीं हो पाती।
ऐसे समय में यही हाथी—राधा, रंगीली, राजा और रानी—स्टाफ को लेकर संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त करते हैं।
उनकी चपलता और वर्षों का प्रशिक्षण जंगल की सुरक्षा में अमूल्य है।


अधिकारी का बयान

अजय लिंगवाल, एसीएफ—राजाजी टाइगर रिजर्व बताते हैं:
“चिल्ला हाथी शिविर इस बात का जीवंत उदाहरण है कि करुणा, धैर्य और देखभाल से मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलित संबंध स्थापित किया जा सकता है। हाथी सफारी संरक्षण और विकास को साथ लेकर चलने का संदेश देती है।”


चिल्ला जोन में शुरू हुई हाथी सफारी जहां पर्यटकों के लिए रोमांच और आकर्षण लेकर आई है, वहीं यह सात हाथियों की भावुक और प्रेरक जीवन यात्रा को भी प्रदर्शित करती है। यह पहल सह-अस्तित्व और प्रकृति संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।

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