Saturday, November 2, 2024
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धाम के उत्तरी क्षेत्र में निर्माण कार्यों पर तत्काल रोक की सिफारिश, जानिए क्या है इसके पीछे वजह?

केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में वैज्ञानिकों की टीम ने किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर तत्काल रोक की सिफारिश की है। वैज्ञानिकों ने यहां सितंबर और इस महीने हुए हिमस्खलन की तीन घटनाओं के बाद हवाई और स्थलीय निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। दरअसल, सितंबर माह और इस महीने केदारनाथ के ऊपरी क्षेत्र में चौराबाड़ी ग्लेशियर के नजदीकी ग्लेशियर में हिमस्खलन की तीन घटनाएं हुई। 2013 की केदारनाथ आपदा के खौफ को देखते हुए लोग सिहर गए। सरकार ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई। इस टीम ने अक्तूबर के पहले सप्ताह में केदारनाथ के ऊपरी क्षेत्रों में हवाई और स्थलीय सर्वेक्षण किया। सर्वे के बाद टीम ने जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी है, उसमें पूर्ण रूप से केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक की सिफारिश की है।
वैज्ञानिकों ने नुकसान से बचाव के लिए यह भी सिफारिशें की
केदारनाथ मंदिर के उत्तरी ढलान के साथ ही अलग-अलग ऊंचाई पर बेंचिंग की जाए, ताकि ढलाने की तीव्रता कम हो जाए।
हिमस्खलन ढलानों पर हिमस्खलन या कंक्रीट के अवरोधक लगाए जाएं। इन अवरोधकों का डिजाइन, आकार और लगाने की जगह आदि जांच के बाद तय किया जाए।
केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में रेत के टीले बनाए जाएं। बदरीनाथ मंदिर के पीछे यह बनाए जा चुके हैं। इससे बर्फ के नीचे आने की तीव्रता कम की जा सकेगी।
ग्लेशियर प्रभावित क्षेत्रों में हिमस्खलन आम है। लिहाजा, मीडिया और लोगों की जिम्मेदारी है कि वह जागरूकता फैलाएं। अफवाह को रोकें।
केदारनाथ के ऊपर पांच से छह किमी पर हुआ हिमस्खलन
वैज्ञानिकों ने अपनी जांच में पाया है कि केदारनाथ मंदिर से करीब पांच से छह किलोमीटर ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर के सहयोगी ग्लेशियर में हिमस्खलन हुआ है। यह करीब 4.5 किमी का ग्लेशियर है जो कि 3.5 किमी तक चौराबाड़ी ग्लेशियर के साथ है। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि सितंबर महीने में उत्तराखंड के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई है। सैटेलाइट की तस्वीरों में भी इसकी पुष्टि हुई है।
दस साल में हिमस्खलन ले चुका 100 जानें
वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उत्तराखंड के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों का हिमस्खलन की घटनाएं बीते दस साल में 100 से अधिक की मौत की वजह बन चुकी हैं। अक्तूबर 1998 में 27 तीर्थयात्रियों की मौत हुई। 23 जून 2008 को आठ तीर्थयात्रियों सहित 20 लोग घायल हुए। 23 अक्तूबर 2021 को हिमस्खलन की चपेट में आने से बीआरओ के 16 मजदूरों की मौत हुई। दो अक्तूबर 2021 को माउंट त्रिशूल पर हिमस्खलन से सात पर्वतारोहियों की मौत हुई। केदारनाथ में पिछले एक माह में तीन बार हिमस्खलन हुआ है।
इन वैज्ञानिकों ने किया अध्ययन
डॉ. पीयूष रौतेला, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी
डॉ. मनीष मेहता, साइंटिस्ट-डी, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून
डॉ. सीएम भट्ट, साइंटिस्ट-एसएफ, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून
डॉ. प्रतिमा पांडेय, साइंटिस्ट-एसई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून
डॉ. विनीत कुमार, साइंटिस्ट-सी, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून

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