Sunday, November 23, 2025
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Supreme Court: आज रिटायर हुए CJI बीआर गवई, 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत लेंगे 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ

Supreme Court: CJI बीआर गवई हुए रिटायर; 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत संभालेंगे 53वें मुख्य न्यायाधीश का पद

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी अंतिम कार्यवाही के साथ रिटायर हो गए। भावुक विदाई के बीच उन्होंने अपने 40 वर्षों के न्यायिक करियर को याद किया। गवई ने कहा कि वह जीवनभर स्वयं को न्याय का विद्यार्थी मानते रहेंगे और इस संस्था से संतोष भावना के साथ विदा ले रहे हैं।

गवई ने कहा कि उन्होंने अदालत, सहयोगी न्यायाधीशों और वकीलों से हमेशा सम्मान और समर्थन पाया। उन्होंने अपने सफर—वकील से हाईकोर्ट जज, फिर सुप्रीम कोर्ट जज और अंततः मुख्य न्यायाधीश बनने—को जीवन की बड़ी उपलब्धि बताया।


24 नवंबर को नए CJI के रूप में शपथ लेंगे जस्टिस सूर्यकांत

गवई के सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी संभालेंगे। उनका शपथ ग्रहण समारोह रविवार, 24 नवंबर को राष्ट्रपति भवन में होने वाला है।

इस अवसर पर भूटान, ब्राजील, केन्या, नेपाल, मलेशिया, श्रीलंका और मॉरीशस समेत कई देशों के मुख्य न्यायाधीश मौजूद रहेंगे। यह समारोह भारतीय न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


लंबित मामलों को निपटाना होगा नए CJI का प्रमुख लक्ष्य

शपथ ग्रहण से पहले पत्रकारों से बातचीत में जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि देशभर में लंबित मामलों को तेज गति से निपटाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। उन्होंने बताया कि कई मुकदमे वर्षों से लंबित हैं, जिन्हें पहचानकर तेज न्याय देने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि जनता को यह समझना चाहिए कि हाईकोर्ट भी संवैधानिक अदालत है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से पहले अपीलें वहां की जानी चाहिए।


न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और आधुनिकीकरण पर फोकस

जस्टिस सूर्यकांत ने संकेत दिए कि उनके कार्यकाल में कई प्रशासनिक और तकनीकी सुधार किए जाएंगे। प्रमुख फोकस क्षेत्रों में शामिल होंगे—

  • पुरानी फाइलों और लंबित मामलों का निपटारा

  • डिजिटल न्याय व्यवस्था को मजबूत करना

  • मामलों के आवंटन और सुनवाई प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाना

  • बेंच की दक्षता और न्यायिक संसाधनों का बेहतर उपयोग

उन्होंने कहा कि आधुनिक न्यायपालिका की जरूरतों को देखते हुए बदलाव समय की मांग है।

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