श्री श्याम सुन्दर मन्दिर पटेल नगर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन वृदांवन धाम से पधारे वैष्णव आचार्य धीरज बावरा ने श्री कृष्ण की कथा करते हुए कहा कि जिस प्रकार श्री कृष्ण जन्म के समय कारागार में कैद वासुदेव एवम देवकी के बंधन स्वयं खुल गए और जेल के ताले टूट गए उसी प्रकार परमात्मा का हमारे जीवन में प्रवेश होते ही हमारे मोह माया के बंधन टूट जाते हैं और जीव मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।
उन्होंने कहा आत्मा का परमात्मा से मिलन ही श्री कृष्ण का हमारे भीतर जन्म है। वासुदेव एवम देवकी जैसे निर्मल ह्रदय वाले माता पिता हो तो भगवान आज भी अवतार लेने को तैयार हैं। कथा व्यास धीरज बावरा ने वामन अवतार का प्रसंग सुनाते हुए कहा भक्ति मार्ग में जो भी बाधक बने उसका त्याग कर देना चाहिए। जिस प्रकार विभिषण ने अपने भाई रावण का त्याग कर राम की शरण ले ली थी। उन्होंने श्री राम कथा सुनाते हुए कहा भगवान राम ने हमें मर्यादित जीवन जीने जीने की प्रेरणा दी। श्री राम का चरित्र हमें माता पिता, भाई बहन, पति पत्नी, भाई भाई एवम् मित्र आदि रिश्तों को मर्यादा से निभाने की शिक्षा देता है। मीडिया प्रभारी भूपेन्द्र चड्ढा ने कहा आज की कथा में श्री कृष्ण जन्म पर भक्तजन उपहार लेकर सजधज कर आए और सुंदर भजनों पर नृत्य कर कृष्ण जन्म की खुशी मनाई। मंदिर में जन्माष्टमी 19 को है इसलिए 19 को कथा का समय रात्रि आठ से बारह बजे तक का होगा। कथा में आज के यजमान गुलशन नन्दा, मनीष नन्दा, मनोज सूरी, मोना सूरी, विनोद कपूर, राजू गुलानी, पंकज चांदना, संजय मेहता, पवन मेंहदीरत्ता, राम सिंह, अनूप पायाल, कपिल गोगिया, आशीष विरमानी, रूपेश सूरी, विनोद भाटिया, दीपक चावला, बृजेश भाटिया, प्रदीप मेहता, डाली रानी, गोपी गोगिया, सोनिया गोयल, मिनी जायसवाल, अलका अरोड़ा, नीतू कपूर, ऊषा चढ्ढा, प्रीति मेहता, पूजा नंदा, हिमानी नंदा, गिरीश नंदा, चन्द्र मोहन आनन्द, अवतार मुनियाल, गोविंद मोहन, ओम प्रकाश सूरी, भूपेन्द्र चढ्ढा, गौरव कोहली, अंकुर चड्ढा, यशपाल मग्गो आदि मौजूद रहे।
शिव मंदिर धर्मपुर में शुरू हुई भागवत कथा
देहरादून। धर्मपुर स्थित प्राचीन श्री शिव मंदिर प्रबंध समिति द्वारा मंदिर में श्रीमदभागवत कथा विधिवत प्रारंभ हो गई है। कथा वक्ता आचार्य नत्थी प्रसाद उनियाल ने कथा प्रवचन देते हुए कहा कि भगवद भक्ति से ही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। मौके पर देवेन्द्र अग्रवाल, आत्माराम, मदन गोपाल हुरला, भीमप्रकाश, जयप्रकाश बंसल आदि मौजूद रहे।
परमात्मा के जीवन में प्रवेश करते हुए ही टूट जाते मोह माया के बंधन
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