Sunday, November 24, 2024
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बसों का पहिया थमने से यात्रियों को हुई परेशानी

रोडवेज कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार के कारण यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी। हड़ताल के कारण सुबह पांच बजे से उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों का संचालन ठप रहा। यात्रियों को निजी बसों, टैक्सियों और यूपी रोडवेज की बसों का सहारा लेना पड़ा। यात्रियों को समय की बरबादी के साथ ही आर्थिक नुकसान भी झेलनी पड़ी। बसों का पहिया थमने से रोडवेज को करीब 12.50 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। 13 सूत्रीय मांगों को लेकर रोडवेज के पांच यूनियनों की संयुक्त मोर्चा की ओर से देहरादून आईएसबीटी स्थित मंडलीय कार्यालय (रीजन) में कर्मचारियों की बैठक थी। बैठक में जाने से पहले रोडवेज कर्मचारियों ने ऋषिकेश डिपो की वर्कशॉप में बैठक की। रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के शाखा अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार रोडवेज को निजीकरण की ओर ले जा रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस दौरान कर्मचारियों ने नारेबाजी भी की। ऋषिकेश डिपो से करीब 70 कर्मचारी देहरादून में आयोजित बैठ में भाग लेने गए हैं।
सुबह से आईएसबीटी में भटकते रहे यात्री
दिल्ली से घनसाली, गोपेश्वर, पौड़ी, जोशीमठ जाने वाले यात्री सुबह आईएसबीटी पहुंच गए थे। जब काफी देर तक बसों का इंतजार करने के बाद भी बस नहीं आई तो काउंटर पर जाकर पता चला कि कार्य बहिष्कार के कारण पर्वतीय रूट पर कोई भी बसें नहीं गई। दिल्ली से जो बस घनसाली, गुप्तकाशी, चंडीगढ़ से पौड़ी जाती है, वह बस ऋषिकेश तक ही आई। इससे आगे यात्रियों को प्राइवेट बसों और टैक्सियों से जाना पड़ा।
छात्रों ने झेली परेशानी
ऋषिकेश से हरिद्वार और देहरादून के कोचिंग सेंटरों और इंस्टीट्यूट में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को परेशानी झेलनी पड़ी। छात्रा शालिनी और प्रियंका ने बताया कि उन्हें देहरादून स्थित कोचिंग सेंटर जाना पड़ता है। लेकिन रोडवेज बसों की हड़ताल के कारण प्राइवेट बसों से जाना पड़ा। ऋषिकेश से पहले डोईवाला तक फिर वहां से सिटी बस से देहरादून जाना पड़ा।
रोडवेज को लगी 12.50 लाख की चपत
रोडवेज कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार के कारण रोडवेज को 12.50 लाख रुपये की चपत लगी। आजकल हर दिन डिपो की औसत आय करीब 12.50 लाख है। डिपो की 56 बसों में से 38 का संचालन होता है।
यह हैं प्रमुख मांगे
रोडवेज बसों का बेड़ा बढ़ाकर 1200 किया जाए। 500 नई बसें खरीदी जाएं।
रोडवेज की भूमि और संपत्तियों को भू माफिया से बचाया जाए। जमीन को खुुर्द बुर्द होने से रोका जाए।
रोडवेज में मृतक आश्रितों को स्थाई नौकरी दी जाए
पर्वतीय मार्गों पर अनुबंधित बसों के संचालन के आदेश को वापस लिया जाए
रोडवेज और अनुबंधित बसों के अनुपात में रोडवेज बसें अधिक हों
यात्रियों की जुबानी
मुझे मसूरी घूमने के लिए जाना था। दिल्ली से ऋषिकेश रोडवेज बस अड्डे पर पहुंचा लेकिन यहां उत्तराखंड रोडवेज बसों के हड़ताल के कारण प्राइवेट बसों से देहरादून जाना पड़ा। आधे घंटे से अधिक इंतजार करना पड़ा। पिछली बार ऋषिकेश से सीधे मसूरी गया। – कमलेश, यात्री
मैं हमेशा रोडवेज बसों में यात्रा करती हूं। मुझे दिल्ली जाना था। रोडवेज बस अड्डे में आकर पता लगा कि बसों की हड़ताल है। अब यूपी रोडवेज की बस से यात्रा करनी पड़ रही है। उन बसों में टिकट भी महंगा होता है। हड़ताल ठीक नहीं है। – नेहा शर्मा, यात्री
मैं दिल्ली से ऋषिकेश पहुंच गया। हर रोज की तरह घनसाली जाने वाली रोडवेज नहीं मिली। जब भी आता हूं उसी बस से जाता हूं। एक घंटे से उसका इंतजार कर रहा था। पूछताछ काउंटर से जानकारी मिली कि हड़ताल के कारण बस रद्द है। – जय कुमार, यात्री
रोडवेज कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार के कारण बसों का संचालन सुबह पांच बजे से ठप रहा। दिल्ली और अन्य स्थानों से पर्वतीय क्षेत्रों तक जानी वाली बसें ऋषिकेश तक ही आई। अन्य रूटों पर भी संचालन ठप रहा। बसों के संचालन ठप होने से रोडवेज को 12.50 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ। – अनुराग पुरोहित, यातायात अधीक्षक, रोडवेज डिपो ऋषिकेश

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